मुंबई 08 08, 2010
तमाम देसी बैंकों ने बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से घरेलू बाजार में सोने के कारोबार की अनुमति मांगी है। साथ ही बैंकों ने देश के केंद्रीय बैंक से वायदा एक्सचेंजों में अपनी जरूरत के हिसाब से सोने की हेजिंग करने को मंजूरी देने की मांग की है। इस पूरे मामले से जुड़े एक जानकार का कहना है कि तकरीबन एक पखवाड़े पहले आरबीआई की सर्राफा पर गठित स्थायी समिति की बैठक में इस तरह के सुझाव रखे गए। हाल-फिलहाल बैंक सोने की केवल बिक्री कर सकते हैं और वे इस मूल्यवान धातु की खरीदारी नहीं कर सकते।बैंक केवल सोने का आयात आभूषण निर्माताओं को बेचने के लिए करते हैं। बैंक खुदरा निवेशकों को सोने के सिक्के भी बेचते हैं। यह चलन काफी लोकप्रियता हासिल कर चुका है। लेकिन जब सोने के सिक्कों में निवेश करने वाले निवेशक उन सिक्कों को वापस बैंकों को बेचना चाहें तो बैंक इन्हें नहीं खरीद सकते क्योंकि उन्हें बेचने की अनुमति तो है लेकिन खरीदने की नहीं।ज्यादातर बैंक कीमत को लेकर जोखिम नहीं उठाते हैं और केवल कन्साइनमेंट के आधार पर सोने का आयात करते हैं। कन्साइनमेंट का मतलब यही होता कि अगर बैंक आयातित सोने को नहीं बेच पाता है तो बचे हुए सोने को वापस मूल विक्रेता के पास लौटा दिया जाता है।हालांकि सरकार ने कुछ अन्य कारोबारी संस्थाओं को भी सोना आयात करने की मंजूरी दे रखी है। ऐसे में बैंकों का कहना है कि इससे ज्वैलरों के लिए सोना आयात करने में प्रतिस्पद्र्घा बढ़ गई है। हालांकि अभी तक इस मामले में दूसरे कारोबारी खिलाड़ी बैंकों के लिए उतनी बड़ी चुनौती नहीं बन पाए हैं लेकिन आने वाले दिनों में ये कारोबारी प्रतिष्ठान बैंकों के मुंह से यह व्यापारिक निवाला छीन सकते हैं। इसके मद्देनजर बैंक स्थानीय हाजिर बाजार में कारोबार का दायरा बढ़ाना चाहते हैं। साथ ही साथ वे वायदा एक्सचेंजों में भी हेजिंग करना चाहते हैं ताकि जोखिम कम से कम हो जाए। कुछ दिन पहले चीन ने भी अपने बैंकों को सोने के कारोबार में ज्यादा ढील दी है और विदेशी कंपनियों के लिए भी सोने के कारोबार में राह आसान की है।हेजिंग के मामले में वायदा बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) भी बैंकों के संग खड़ा है। एमएमसी ने बैंकों के लिए वायदा एक्सचेंजों पर सोने की हेजिंग की मंजूरी देने के लिए आरबीआई को एक पत्र भी लिखा है। (BS Hindi)
09 अगस्त 2010
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