04 अगस्त 2010
बंपर स्टॉक से लालमिर्च की कीमतों में गिरावट
निर्यात मांग अच्छी होने के बावजूद बंपर स्टॉक के कारण लालमिर्च की कीमतों में गिरावट बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लालमिर्च का निर्यात 33 फीसदी बढ़ा है। लेकिन पिछले पंद्रह दिनों में हाजिर बाजार में लालमिर्च के दाम करीब 7.5 फीसदी और वायदा में 10.4 फीसदी घटे हैं। प्रमुख उत्पादक राज्य आंध्रप्रदेश में लालमिर्च का करीब 65-70 हजार बोरी का स्टॉक बचा हुआ है जबकि करीब चार महीने बाद मध्य प्रदेश की नई फसल आ जायेगी। ऐसे में मौजूदा कीमतों में और गिरावट के ही आसार हैं। अशोक एंड कंपनी के डायरेक्टर अशोक दत्तानी ने बताया कि लालमिर्च में बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया और मलेशिया की आयात मांग अच्छी बनी हुई है। लेकिन घरेलू मंडियों में स्टॉक ज्यादा होने से मसाला निर्माताओं की मांग कमजोर है।भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2010-11 के पहले तीन महीनों (अप्रैल से जून) के दौरान निर्यात 56,750 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 42,700 टन का निर्यात हुआ था। गुंटूर चिली मर्चेंट्स एसोसिएशन के सचिव सुधाकर कोठूरी ने बताया कि गुंटूर में लालमिर्च का करीब 50 लाख बोरी का स्टॉक बचा हुआ है जबकि अन्य मंडियों में भी करीब 15 से 20 लाख बोरी का स्टॉक है। कुल स्टॉक पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 20 फीसदी ज्यादा है। वैसे भी अगले चार महीने बाद मध्य प्रदेश में नई फसल आ जायेगी। इसी का असर घरेलू बाजार में लालमिर्च की कीमतों पर पड़ रहा है। वायदा बाजार में पिछले पंद्रह दिनों में लालमिर्च की कीमतों में करीब 10.5 फीसदी का मंदा आया है। एनसीडीईएक्स पर अगस्त महीने के वायदा अनुबंध के 19 जुलाई को भाव 4,753 रुपये प्रति क्विंटल था जो मंगलवार को घटकर 4,256 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। गुंटूर में तेजा क्वालिटी की लालमिर्च के भाव घटकर 5000-5300 रुपये, 334 के 4000-4400 रुपये, ब्याडगी के 5000-5500 रुपये, सनम के 4200-4500 रुपये और फटकी के भाव घटकर 2000-2700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जयपुर के प्रमुख मिर्च कारोबारी प्रकाश जैन का कहना है कि इस बार नेपाल, बर्मा, श्रीलंका में लगातार भारतीय मिर्च की मांग बनी हुई है लेकिन मिर्च का स्टॉक काफी है। हालांकि लेकिन जयपुर में कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। यहां करीब 35/40 हजार बोरी की दैनिक आवक हो रही है। एवरेज तेजा माल का भाव 68/69 रुपये किलो चल रहा है। गुन्टूर के प्रमुख व्यापारी राजेश मोदी ने बताया कि खपत वाली मंडियों में स्टॉक अधिक होने से मिर्च की निकासी उत्पादक एवं वितरक मंडियों से कम रही। दूसरी ओर बिजाई शुरू हो गई है। गत 5/6 महीने से तेजी के इंतजार में व्यापारियों ने मिर्च का स्टॉक कर रखा था। शादियों का सीजन बीत जाने के बाद अब वे भी माल निकालने लगे हैं। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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