मुंबई August 16, 2010
एथेनॉल उत्पादक और चीनी मिलों ने कैबिनेट के पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाए जाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की जरूरत के मुताबिक इस वर्ष पहली सितंबर से अगले वर्ष 31 अगस्त तक 104.45 करोड़ लीटर एथेनॉल उपलब्ध कराने की तैयारी कर ली गई है।एथेनॉल उत्पादकों के अखिल भारतीय संगठन के अध्यक्ष विजयसिंह मोहिते पाटिल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'देश में कुल 150 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है, जिसमें से महाराष्ट्र 92 करोड़ लीटर, उत्तर प्रदेश 18 करोड़ लीटर, छत्तीसगढ़ 15 करोड़ लीटर, आंध्र प्रदेश 8 करोड़ लीटर, कर्नाटक 4 करोड़ लीटर, और तमिलनाडु 2.5 करोड़ लीटर का उत्पादन करता है। हम नहीं समझते कि इस वर्ष सितंबर से लेकर अगले वर्ष अगस्त तक तेल विपणन कंपनियों की एथेनॉल जरूरत पूरी करने में कोई कठिनाई होगी। हमें इस बात का पूरा भरोसा है कि सरकार के इस फैसले से न केवल पेट्रोल कीमतों में 1.25 रुपये से 1.50 रुपये प्रति लीटर तक की गिरावट आएगी, बल्कि तेल आयात में खर्च होने वाले विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।'पाटिल ने बताया कि एथेनॉल उत्पादकों ने वर्ष 2003-2004 के दौरान तेल विपणन कंपनियों को 37.50 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की थी। हालांकि बाद के वर्षों में कई राज्यों में सूखे की स्थिति और गुड़ एवं अल्कोहल के भाव बढऩे से इसकी आपूर्ति में गिरावट आई थी।पाटिल ने केंद्र सरकार के उस फैसले का भी स्वागत किया है, जिसके तहत तेल विपणन कंपनियां कारखाने से डिपो तक ढुलाई का खर्च उसी दर पर वहन करेंगी, जिस दर पर वे अपने उत्पाद की ढुलाई का खर्च वहन करती हैं। एथेनॉल की वास्तविक ढुलाई चीनी मिलें करेंगी। तेल विपणन कंपनियां आयात और निर्यात शुल्क का खर्च भी उठाएंगी।महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों के महासंघ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि चीनी के भाव में लगातार गिरावट आ रही है (200 रुपये प्रति क्विंटल, जो उत्पादन लागत से भी कम है), ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला समय पर उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा, 'इस फैसले से चीनी मिलों की माली हालत सुधरेगी और वे किसानों को गन्ने का बेहतर भाव चुका सकेंगी।' (BS Hindi)
17 अगस्त 2010
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