मुंबई August 04, 2010
एक पखवाड़े के भीतर ही प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों की चीनी मिलों ने महासंघ के उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि वे बेंचमार्क भाव 2,700 रुपये प्रति क्विंटल से कम दरों पर चीनी की बिक्री न करें। चीनी मिलों ने कथित रूप से 2,450-2,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सफेद चीनी की बिक्री की है, ताकि कार्यशील पूंजी जुटाई जा सके और कर्मचारियों का वेतन भुगतान किया जा सके।इस वर्ष 23 जुलाई को सहकारी चीनी मिलों के महाराष्ट्र स्टेट फेडरेशन (चीनी महासंघ) ने एक बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि चीनी मिलों को बेंचमार्क भाव 2,700 रुपये प्रति क्विंटल से कम दर पर चीनी नहीं बेचना चाहिए। चीनी महासंघ की बैठक में गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाड़, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि मौजूद थे। अपने आप में यह पहला मौका था, जब इस तरह का बयान जारी किया गया।इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, 'अलग-अलग मिलों की अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं। उनमें से ज्यादातर मिलें लेवी के भय से कम भाव पर बिक्री कर रही हैं, जबकि अन्य मिलें भंडार का ऊंचा स्तर नहीं बनाए रखना चाहतीं।'उल्लेखनीय है कि मौजूदा नियमों के मुताबिक मासिक कोटे से अतिरिक्त चीनी स्वत: लेवी कोटे में चली जाती है, जिसका भाव 13 रुपये प्रति किलोग्राम यानी मौजूदा हाजिर भाव से 50 फीसदी कम है। अधिकारी ने कहा, 'चीनी उद्योग में स्वाभाविक अनियमितता को देखते हुए आप फेडरेशन के निर्देशों के पालन की उम्मीद कैसे कर सकते हैं, जबकि नीतिगत स्तर पर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। (बीएस हिंदी)
05 अगस्त 2010
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