मुंबई August 06, 2010
आखिरकार जिंस वायदा बाजार को अलग से एक नियामक मयस्सर होने ही वाला है। इस बारे में केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच एक बैठक में फैसला किया गया है।इसके मुताबिक जिंस वायदा बाजार का नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) स्वतंत्र नियामक के तौर पर काम करेगा और उसे पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही जिंस वायदा बाजार के न्यायाधिकार पर चली आ रही बहस पर भी विराम लग जाएगा।मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एफएमसी को स्वतंत्र नियामक का दर्जा मिलने से काफी बदलाव हो जाएंगे। इसके बाद नियामकों के बीच विवाद सुलझाने के लिए बनाई गई उच्च स्तरीय समन्वय समिति (एचएलसीसी) का दायरा भी बढ़ जाएगा। एचएलसीसी में वित्त मंत्रालय के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी, बीमा नियामक और पेंशन नियामक के ही प्रतिनिधि होते हैं। अब इसमें एफएमसी के अध्यक्ष और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल हो जाएंगे।पिछले महीने हुई इस बैठक में यह भी तय किया गया कि वायदा करार नियमन अधिनियम में संशोधन का विधेयक भी अब कैबिनेट और उसके बाद संसद के सामने रखा जाना चाहिए। इस विधेयक में एफएमसी को स्वायत्तता देने और बाजार में गड़बड़ करने वालों को सजा देने का अधिकार भी दिलाने के लिए कुछ प्रावधान शामिल किए गए हैं। (बीएस हिंदी)
07 अगस्त 2010
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