नई दिल्ली August 20, 2010
सरकार देश भर के लाखों किसानों को स्मार्ट कार्ट देने की योजना बना रही है। इसके माध्यम से पोषण आधारित सब्सिडी (एनबीएस) नीति के तहत दी जाने वाली छूट किसानों को सीधे हस्तांतरित की जा सकेगी।किसानों को सीधे सब्सिडी दिए जानेकी इस योजना के तहत रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत आने वाले उर्वरक विभाग ने एक पायलट परियोजना बनाई है। इसके तहत उन किसानों की पहचान की जाएगी, जो ऐसे उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। यह परियोजना देश के 6 से 7 राज्यों में चलाई जाएगी। इस समय सरकार उर्वरकों की बिक्री पर नजर उत्पादकों के माध्यम से रखती है, जो खुदरा बिक्रेताओं को उर्वरक उपलब्ध कराते हैं। बहरहाल उर्वरक विभाग अब अंतिम उपभोक्ता की पहचान करने की कोशिश करेगा, जिससे सरकार किसानों के आंकड़े तैयार कर सके और उन्हें सीधे सब्सिडी दी जा सके। उर्वरक विभाग के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'इस पायलट परियोजना से हम किसानों की पहचान कर सकेंगे। उन्हें सूचीबद्ध करेंगे, जिससे उन्हें सीधे सब्सिडी दी जा सके। इस परियोजना की सफलता के आधार पर हम उन्हें स्मार्ट कार्ड जारी करेंगे, जिसमें उन किसानों का ब्योरा उपलब्ध होगा। इसे उन किसानों को भी जारी किया जाएगा, जिनके पास खुद की जमीन नहीं है। इस तरह से कोई भी छूटने नहीं पाएगा।'यह स्मार्ट कार्ड 100 रुपये में मिलेगा, जिसमें किसान का नाम, गांव और जिले के नाम के साथ अन्य सूचनाएं दर्ज होंगी। इसे कियॉस्क और गांवों में स्थापित केंद्रों के माध्यम से वितरित किया जाएगा, जो सेवा प्रदाता स्थापित करेंगे। उर्वरक विभाग की यह भी योजना है कि सरकार के विशेष पहचान पत्र से भी इसे जोड़ा जाएगा, जब ये पहचान पत्र उपलब्ध हो जाएंगे। एक अधिकारी ने कहा, 'हम एक ऐसी रणनीति तैयार कर रहे हैं, जिसमें असल उपभोक्ता को कितनी बिक्री की गई है, उसकी जानकारी होगी। हम चाहते हैं कि हर लेन-देन ऑनलाइन हो, जिससे इसमें कहीं से किसी गड़बड़ी की गुंजाइश न हो।'उर्वरक विभाग पहले ही राज्य सरकारों और कृषि विभाग से इस मसले पर संपर्क कर चुका है। इस काम के लिए राज्य का भी एक अधिकारी नियुक्त होगा, जो किसानों की सूची बनाने और सब्सिडी के भुगतान की निगरानी करेगा। पोषण आधारित सब्सिडी की नीति 1 अप्रैल 2010 को लागू हुई, जिससे सरकार पर पडऩे वाले उर्वरक सब्सिडी के बोझ को कम किया जा सके। 2009-10 में उर्वरक सब्सिडी के रूप में सरकार को 8010 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा तो कुल राजस्व का 3.22 प्रतिशत था। (BS Hindi)
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