नई दिल्ली August 29, 2010
पिछले 10 दिनों में बारिश में बढ़ोतरी हुई है और खरीफ की फसल को फायदा पहुंचा है। वहीं कई नदियां उफान पर हैं और इनके आस-पास के इलाकों में लगी फसलों को नुकसान भी हुआ है। अब तक बारिश केलिए तरस रहे पूर्वी भारत में भी बादल खूब बरसे हैं और इस अवधि में यहां सामान्य से 23 फीसदी अधिक पानी बरस चुका है। इसके चलते यह धान की बुआई या अन्य फसलों की बुआई के लिए स्थितियां सुधर गई हैं क्योंकि बारिश के अभाव में इस इलाके में अब बुआई नहीं हो सकी थी।इस बार यहां हुई बारिश से यह फायदा हुआ है कि सूखे से हुए नुकसान की भरपाई भी इस बारिश से हो रही है। देश में मौसमी बारिश की स्थिति अच्छी है और 28 अगस्त तक यह सामान्य से केवल 2 फीसदी ही कम थी। पूरे देश में इस बार खरीफ फसलों की स्थिति ठीक हैं। देश में कुल खरीफ रकबे का 90 फीसदी, लगभग 9.5 हेक्टैयर रकबा 26 अगस्त तक क्रॉप कवर के अंतर्गत लाया जा चुका है। यह पिछले साल के मुकाबले 80 लाख हेक्टेयर अधिक है। देश में इस बार हर फसल के रकबे में बढ़ोतरी हुई है इनमे धान, मोटे अनाज और दालें मुख्य हैं। इनमे से प्रत्येक रकबे में 20 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। इस बार देश में फसलों की स्थिति अच्छी है और कीट और बीमारियां भी सामान्य से कम हैं।पंजाब में पहले बोया गया कपास आने लगा है। कपास की कीमतों में 8.5 फीसदी का उछाल है और उत्पादन भी अच्छा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के चलते घरेलू और निर्यात बाजार में कपास की मांग बढ़ रही है, और इसकी कीमतों में इजाफा हुआ है। अगस्त के आखिरी सप्ताह में हुई बारिश के चलते देश के 81 प्रमुख जलाशयों के जल स्तर में तेज बढ़ोतरी हुई है। यह 26 अगस्त को बढ़कर 82.793 अरब घन मीटर हो गया। पिछले साल के मुकाबले इसमें 31 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह दीर्घकालिक औसत से मात्र 2 फीसदी कम है। हालांकि अभी भी देश के उन 36 बांधों में पानी का स्तर चिंताजनक है जहां जल विद्युत इकाइयां भी हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार इनमे से 23 बांधों में जलस्तर अभी भी सामान्य से कम है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार 27 अगस्त को बताया कि सितंबर में सामान्य से 15 फीसदी अधिक बारिश होने की संभावना है। खरीफ फसलों की बुआई की रिपोर्ट के अनुसार किसानों ने इस बार कम पानी की वजह से तिलहन की बजाय दालों को प्रमुखता दी है। दालों की कीमतों में पिछले साल 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले साल के 90 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस बार 1.1 करोड़ हेक्टेयर में दालों की बुआई हुई है। जबकि तिलहन फसलों का रकबा पिछले साल के 160 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 165 लाख हेक्टेयर हो गया है।कपास और गन्ने के रकबे में भी कीमत बढऩे की उम्मीदों के चलते बढ़ोतरी हुई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और असम में बारिश की कमी के चलते फसलों की बुआई लक्ष्य से पीछे रह गई है। ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है और मुख्य ध्यान झारखंड के कुछ हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल पर है जहां जमीन में नमी की कमी के चलते धान की बुआई प्रभावित हुई है।झारखंड को पूरी तरह से सूखा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया गया है लेकिन यहां के सिंहभूमि और सराईकेला इलाकों में धान के 80 फीसदी रकबे में बुआई हो चुकी है और जिस इलाके में बुआई नहीं हो पाई थी वहां हाल ही में हुई बारिश के बाद वैकल्पिक फसलों की बुआई की जाएगी। वैकल्पिक फसलों में उड़द, मूंग, अरहर और मोटे अनाज की बुआई की जाएगी। यही रणनीति पश्चिम बंगाल के लिए भी अपनाई जाएगी जहां 11 जिलों को सूखा प्रभावित घोषित किया जा चुका है। लेकिन हाल ही में यहां भी अच्छी बारिश हुई है। आईसीएआर ने यहां दालों बुआई करने की सिफारिश की है। परिषद ने ऐसे खेतों में भी दालों की बुआई की सिफारिश की है जहां धान बोया जा चुका है क्योंकि यहां लंबे समय तक बारिश न होना एक प्रमुख समस्या है।बिहार के लिए आईसीएआर ने ज्वार, मक्का और चारा फसलों की बुआई की सलाह दी है। इस महीने के अंत तक तिलहन फसलें भी लगाई जा सकती हैं। बाढग़्रस्त इलाकों के किसानों को विशेषज्ञों की सलाह है कि खेतों से पानी निकलने के बाद प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नाइट्रोजन खाद का छिड़काव करें, इससे फसल को पनपने में मदद मिलेगी। (BS Hindi)
30 अगस्त 2010
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