चंडीगढ़ August 06, 2010
विशाल खाद्यान्न भंडार को देखते हुए उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय निजी व्यापारियों के लिए गेहूं के आवंटन से संबंधित नियमों को लचीला बनाने पर अंतत: राजी हो गया है। बाजार में बड़ी मात्रा में खाद्यान्न उतारने के लिए मंत्रालय खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) अधिसूचित करने की प्रक्रिया में है।इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि नई योजना के तहत निजी व्यापारियों को प्रति दिन 3 से 9 टन गेहूं प्रति डिपो प्रति फर्म वितरित किए जाएंगे, जिसके लिए कोई निविदा नहीं आमंत्रित की जाएगी।इस तरीके से वितरित किए जाने वाले गेहूं की मात्रा और दरों के अनुमोदन की प्रक्रिया फिलहाल जारी है, जिसके शीघ्र पूरी हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि यह उस बैठक का नतीजा है, जो पिछले महीने की 27 तारीख को केंद्र सरकार के खाद्य सचिव ने राज्यों के खाद्य सचिवों के साथ की थी।इस बीच यह संभावना भी जताई जा रही है कि गेहूं के भाव संशोधित किए जा सकते हैं क्योंकि फिलहाल खुले बाजार में गेहूं के भाव उस भाव से कम हैं, जिसकी पेशकश भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने की थी।उल्लेखनीय है कि एफसीआई के पास पिछले वर्ष (2009-10) ओएमएसएस के लिए आवंटित गेहूं में से 23 लाख टन बकाया पड़ा है। तब ओएमएसएस के लिए थोक (घरेलू) में 20।81 लाख टन और खुदरा (घरेलू) में 21.35 लाख टन गेहूं आवंटित किया गया था। इसमें से अब तक 17 लाख टन गेहूं का उठाव हो पाया है, जो कुल आवंटन के 50 प्रतिशत से भी कम है।अब इस नई योजना से एजेंसियों को उनकी भंडारण क्षमता से अतिरिक्त अनाज बाजार में उतारने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि एफसीआई के पास कुल 3.5 लाख टन गेहूं का विशाल भंडार पड़ा है।उल्लेखनीय है कि पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और तमिलनाडु समेत देश के तकरीबन तमाम हिस्सों की मिलें एफसीआई की ओर से गेहूं के लिए 1,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर ऐतराज जता रही थी क्योंकि उन्हें खुले बाजार में 1,370-1,380 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं मिल रहा था। कीमतों में इस अंतर की वजह से मिलें ऑस्ट्रेलिया से गेहूं आयात करने पर मजबूर हुई थी।लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब गेहूं के भाव को संशोधित कर 4.6 सेंट प्रति बुशल (फरवरी, 2010) से 7.1 सेंट प्रति बुशल (मौजूदा भाव) कर दिए गए तो परिस्थितियां विपरीत हो गईं। इससे एफसीआई को अपना विशाल मौजूदा भंडार खाली करने में मदद मिल सकती है, ताकि धान की फसल के लिए जगह बनाई जा सके।भारतीय रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एम के दुत्तराज ने कहा कि इससे कीमतों में सुधार लाने में मदद मिल सकती है। उधर मिलों ने उम्मीद जताई है कि सरकार उनके लिए भी उसी आधार पर गेहूं का आवंटन करेगी, जिस आधार पर निजी व्यापारियों को किया जा रहा है। भारतीय रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठï उपाध्यक्ष आदि नारायण गुप्ता ने कहा कि यदि प्रति दिन प्रति मिल 100 टन गेहू आवंटित किया जाए, तो मिलों को अपनी पूरी क्षमता इस्तेमाल करने में मदद मिल सकती है। (बीएस हिंदी)
07 अगस्त 2010
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