मुंबई August 10, 2010
खाने-पीने की आदतें बदलने, स्वास्थ्य से संबंधित चिंता और भाव में अत्यधिक उतार-चढ़ाव की वजह से इस वर्ष भारत में चीनी खपत की दर आधी रह जाने की आशंका है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के पूर्वानुमान के मुताबिक इस बार मध्यावधि में चीनी खपत की दर महज 3 फीसदी रहने की संभावना है, जबकि पिछले 4 वर्षों के दौरान यह दर औसतन 7 फीसदी रही थी।आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010 के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति चीनी का उपभोग 20 किलोग्राम होगा, जबकि पिछले वर्ष प्रति व्यक्ति 19.9 किलोग्राम चीनी की खपत हुई थी। इस वर्ष गुड़ और खांडसारी की प्रति व्यक्ति खपत 8.9 किलोग्राम रहने की उम्मीद है, जबकि वर्ष 2009 में प्रति व्यक्ति 9.3 किलोग्राम गुड़ और खांडसारी की खपत हुई थी।चीनी व्यापार संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने वर्ष 2010 के दौरान भारत में 2.35 करोड़ टन चीनी की खपत का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले वर्ष 2.3 करोड़ टन चीनी की खपत हुई थी। जहां तक गुड़ और खांडसारी की बात है, पिछले वर्ष इन चीजों की खपत में 100 फीसदी से ज्यादा की वृद्घि हुई थी, जिसके इस वर्ष मामूली गिरावट के साथ 1.05 करोड़ टन रह जाने की आशंका है, जबकि पिछले वर्ष 1.08 करोड़ टन गुड़ एवं खांडसारी की खपत हुई थी।इसकी एक खास वजह भी है। दरअसल वर्ष 2009 में चीनी का उत्पादन गिरकर 1.47 करोड़ टन रह गया था, जो वर्ष 2008 के दौरान चीनी उत्पादन का तकरीबन आधा था। इसी के चलते उपभोक्ताओं को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए गुड़ और खांडसारी का रुख करना पड़ा। भारत सरकार का कहना है कि इस वर्ष चीनी की उपलब्धता पर्याप्त स्तर 2.6 करोड़ टन पर बनी रहेगी, जबकि उत्पादन स्तर 1.85 करोड़ टन रहने की उम्मीद है।बहरहाल, सरकार ने चीनी की आपूर्ति नियंत्रित रखी है। चीनी का पर्याप्त मासिक आवंटन हो रहा है और इसकी मांग और आपूर्ति का अंतर पाट लिया गया है, ताकि तमाम उपभोक्ताओं को उनकी जरूरत के मुताबिक चीनी उपलब्ध हो सके। एक विश्लेषक का कहना है कि यही वजह है कि गुड़ और खांडसारी के प्रति उपभोक्ताओं का आकर्षण कम हुआ है और आने वाले वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आएगी।उधर अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने वर्ष 2011 के दौरान भारत में 2.47 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है, जबकि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने भारत में वर्ष 2011 और वर्ष 2012 के दौरान क्रमश: 2.762 करोड़ टन और 3.189 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है।चीनी वर्ष 2005 (अक्टूबर 2004- सितंबर 2005) के दौरान भारत में चीनी की खपत में मामूली रूप से गिरावट आई थी, जिसकी वजह अपवाद रूप में ऊंची कीमत रही थी। बावजूद इसके पिछले एक दशक (2000-2010) के दौरान चीनी की औसत खपत 4 फीसदी बढ़कर 2.35-2.4 करोड़ टन (चीनी वर्ष 2010) रही। इससे पहले वर्ष 1987-1997 के दशक में चीनी की खपत औसतन 4.3 फीसदी की दर से बढ़ी थी। यह सही है कि विकसित देशों की तुलना में भारत में चीनी खपत की दर धीमी गति से बढ़ी है। लेकिन इसकी वजह खाने-पीने की आदतों में बदलाव और स्वास्थ्य से संबंधित चिंताएं है। वर्ष 2006-2010 के दौरान भारत में रिफाइन चीनी की खपत 7 फीसदी की दर से बढ़ी। इसकी तुलना में गुड़ और खांडसारी की खपत सलाना 5 फीसदी की दर से बढ़ी, जिसकी मुख्य वजह चीनी वर्ष 2009 के दौरान विकास की तेज गति रही। (BS Hindi)
11 अगस्त 2010
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