नई दिल्ली August 08, 2010
मॉनसूनी बारिश में और सुधार हुआ है। बारिश के 7 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक बारिश की कुल कमी अब सिर्फ 1 प्रतिशत रह गई है। इसके चलते खरीफ की खेती ने रफ्तार पकड़ ली है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल बुआई का रकबा पिछले साल की तुलना में 8.4 प्रतिशत ज्यादा रहेगी। हालांकि पूर्वी क्षेत्रों में बारिश कम होने की वजह से उस इलाके के लिए चिंता बनी हुई है और वहां कुछ जिलों में सूखे की स्थिति है। बिहार ने पहले ही 28 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम और मेघालय के कुछ इलाकों में भी स्थिति अच्छी नहीं है। इन इलाकों में बारिश की कमी 28 प्रतिशत से लेकर 47 प्रतिशत तक है। 7 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर पूर्वी क्षेत्र में सामान्य से 23 प्रतिशत कम बारिश हुई है। कम बारिश वाले इलाकों में धान की रोपाई पर बुरा असर पड़ा है। वहां पर किसान दलहन और मोटे अनाज की ओर मुखातिब हुए हैं। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक पूर्वोत्तर इलाकों में 20 अगस्त तक अच्छी बारिश की संभावना है। इससे उन किसानोंं को खासी मदद मिलेगी, जिन्होंने धान की बुआई की है। साथ ही जमीन में नमी आने से अन्य फसलों को भी फायदा होगा। 4 अगस्त को समाप्त सप्ताह में कुल बारिश सामान्य से 16 प्रतिशत ज्यादा हुई। इसके पहले सप्ताह में सामान्य से 38 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई थी। अब जलाशयों में जलस्तर संतोषजनक नजर आने लगा है। इसके पहले जल बिजली के उत्पादन और सिंचाई के लिए जल का अभाव था। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक 5 अगस्त को देश के 81 बड़े जलाशयों में पानी की मात्रा 52.09 अरब घन मीटर रहा। 22 जुलाई को कुल 28.65 अरब घट मीटर पानी था।एक पखवाड़े पहले जहां जलाशयों में सामान्य से 35 प्रतिशत कम पानी था, वहीं अब सामान्य से सिर्फ 6 प्रतिशत कम पानी है। हालांकि जलाशयों में पानी का संतुलन अभी चिंताजनक है। पूर्वी इलाकों में मॉनसून रफ्तार नहीं पकड़ सका है। झारखंड के जलाशयों में सामान्य से 24 प्रतिशत कम पानी है। उड़ीसा में 19 प्रतिशत, त्रिपुरा में 30 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल के जलाशयों में सामान्य से 74 प्रतिशत कम पानी है। बहरहाल खरीफ सत्र में बुआई के 85 प्रतिशत इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। कृषि भवन के हाल के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि इस साल 5 अगस्त तक कुल 826 लाख हेक्टेयर रकबे में बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 55 लाख हेक्टेयर या 8.4 प्रतिशत ज्यादा है। करीब सभी फसलों का रकबा इस साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। इसमें चावल, मोटे अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना, कपास और जूट शामिल हैं। खेतों में लगी फसलें अच्छी हैं। किसी इलाके में कीटों या बीमारियों के हमले की बड़ी खबर नहीं है। पंजाब और राजस्थान के कुछ इलाकों में हालांकि कपास की फसल पर ह्वाइट फ्लाई पेस्ट का असर है, लेकिन कुल मिलाकर इनका असर कम है। खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई 244.8 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई है, जबकि पिछले सत्र में 225.7 लाख हेक्टेयर रकबे में इसकी रोपाई हुई थी। इस तरह से धान का रकबा 8.5 प्रतिशत बढ़ा है। अभी भी रोपाई का काम जारी है। कृषि के जानकारों ने चेतावनी दी है कि किसानों को बैक्टीरियल ब्लाइट बीमारी पर नजर रखनी होगी। यह बीमारी एक खेत से दूसरे खेत में पानी जाने से फैलती है। दलहन की बुआई 88.3 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 11.8 लाख हेक्टेयर या 15.5 प्रतिशत ज्यादा है। कीमतें ज्यादा होने की वजह से किसानों ने इस साल ज्यादा रकबे में दलहन की बुआई की है। मॉनसूनी बारिश के बेहतर प्रसार के चलते भी किसानों को बुआई करने में मदद मिली है। (BS Hindi)
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