अहमदाबाद August 18, 2010
केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर से कपास निर्यात की अनुमति दे दी है। साथ ही कच्चे कपास पर लगने वाले 2500 रुपये प्रति टन निर्यात शुल्क को भी हटा लिया है। इससे कपास की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। सामान्यतया जब खरीफ के कपास की फसल की आवक शुरू होती है तो कीमतों में गिरावट शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार ऐसा होने की उम्मीद कम ही है। वजह है कि निर्यातकों ने वायदा बाजार में कपास की बुकिंग शुरू कर दी है, जिसकी डिलिवरी 2 महीने बाद होगी। उन्हें डर है कि बाद में कीमतों में और तेजी आ सकती है। हालांकि इस समय कीमतें सर्वोच्च स्तर पर चल रही हैं।सरकार का फैसला इस हिसाब से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि कपास की वैश्विक खपत में उत्पादन के मुकाबले तेजी आने के अनुमान हैं। साथ ही पाकिस्तान में बाढ़ आने से वहां फसलों को नुकसान पहुंचा है। साथ ही चीन में भी कपास की मांग बढ़ रही है, जो भारत से कपास का सबसे बड़ा आयातक है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने कहा, 'सरकार के फैसले से कपास की कीमतों में तेजी के आसार हैं। कम अवधि के हिसाब से देखें तो कीमतों में तेजी रहेगी।'अहमदाबाद की एक प्रमुख टेक्सटाइल कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे थे कि दिसंबर-जनवरी तक कीमतें वर्तमान रिकॉर्ड स्तर से नीचे आएंगी, जब कपास की आवक गति पकड़ेगी। बहरहाल, कपास निर्यात को अनुमति दिए जाने के बाद से अब ऐसी उम्मीद नहीं लग रही है।'इस समय गुजरात की बेंचमार्क कपास किस्म संकर-6 की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर 32,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 365 किलो) पर हैं। इसके बावजूद वायदा बाजार में निर्यातकों ने उच्च कीमतों पर कपास की बुकिंग शुरू कर दी है। बाजार से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक निर्यातकों ने दिसंबर डिलिवरी वाली कपास की बुकिंग 32,000 रुपये प्रति कैंडी के भाव की है। मंगलवार को दिसंबर डिलिवरी की कपास की कीमतें 31,700 से 31,800 रुपये प्रति कैंडी थीं।सेंट्रल गुजरात कॉटन डीलर्स एसोसिएशन के किशोर शाह ने कहा, 'कपास के निर्यात से प्रतिबंध हटाए जाने से कपास की कीमतों में गिरावट पर लगाम लगेगी। सरकार के इस फैसले से कपास निर्यातकों को फायदा होने की उम्मीद है, खासकर इसलिए कि पाकिस्तान में 2010-11 में कपास उत्पादन में 20 लाख गांठ की गिरावट की उम्मीद है।हाल ही में अमेरिकी कृषि विभाग ने कहा था कि चीन की आयात जरूरतें भी बढ़ी हैं। चीन के टेक्सटाइल उद्योग की ओर से मांग बढऩे के चलते वहां की सरकार कपास का पर्याप्त भंडार तैयार करना चाहती है। भारत सरकार का अध्यादेश ऐसे समय में आया है जब कपास की वैश्विक कीमतें तेज हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतें 15 साल के उच्चतम स्तर, 95..6 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गई थीं। वैश्विक स्तर पर 2010-11 में उत्पादन और खपत में 40 लाख गांठ का अंतर रहने का अनुमान है। (BS Hindi)
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