नई दिल्ली August 13, 2010
चालू तिमाही में भी चीनी कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद नहीं है। जून महीने में समाप्त तिमाही के दौरान इनका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा था। बहरहाल इस क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि स्थिति में सुधार अक्टूबर में शुरू होने वाले नए सत्र में होगा। उम्मीद है कि नए सत्र में गन्ने की कीमतें चालू सत्र की तुलना में कम रहेंगी। एथेनॉल की कीमतों में भी बदलाव किया गया है, जिससे चीनी मिलों को मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलेगी। उत्तर प्रदेश की धामपुर शुगर मिल्स के अध्यक्ष (वित्त) अरिहंत जैन ने कहा- लेवी चीनी को छोड़कर चीनी की औसत कीमतें चालू तिमाही केदौरान 2860 रुपये प्रति क्विंटल रहीं, जो हमारे उत्पादन लागत से कम है। इससे हमारा प्रदर्शन इस तिमाही में खराब हुआ है। पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में इस साल की तिमाही में लेवी कोटा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किए जाने का भी असर हमारे मुनाफे पर पड़ा है। लेवी चीनी वह चीनी होती है, जो मिलें सरकार को करीब 1800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिए जाने के लिए सरकार को देनी पड़ती है।ज्यादातर चीनी कंपनियों के मुनाफे में कमी आई है। इसकी वजह यह है कि जनवरी के मध्य से अब तक कीमतों में करीब 40 प्रतिशत की गिरावट आई है। उदाहरण के लिए दिल्ली में इस समय चीनी की कीमतें 30 रुपये प्रति किलो हैं, जो जनवरी में 40 रुपये प्रति किलो थीं। चीनी मिलों, खासकर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने चालू सत्र के दौरान महंगे भाव पर गन्ने की खरीद की है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि इस साल चीनी के बेहतर दाम मिलेंगे। सरकार द्वारा कीमतों पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों के बाद चीनी की कीमतों में खासी कमी आई है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों- बजाज हिंदुस्तान, बलरामपुर चीनी और त्रिवेणी इंजीनियरिंग की उत्पादन लगात 2800-2900 रुपये प्रति क्विंटल है। मिलों ने 240 से 250 रुपये प्रति क्विंटल के भाव गन्ने के दाम का भुगतान किया है, जबकि इस साल के लिए राज्य समर्थित मूल्य 165 रुपये प्रति क्विंटल है। यह तय है कि उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें इस भाव से अगले सत्र में गन्ने की कीमतों का भुगतान नहीं करेंगी। इसकी वजह से उत्पादन लागत में कमी आएगी। साथ ही उम्मीद की जा रही है कि लेवी कोटा भी 20 प्रतिशत से कम होगा। साथ ही एथेनॉल की कीमतों में भी बदलाव किया गया है और अब यह 21.50 रुपये से बढ़कर 27 रुपये प्रति लीटर हो गया है। बहरहाल चालू तिमाही में चीनी की कीमतें 2650 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जिसकी वजह से कंपनियों को नुकसान की उम्मीद है। कुछ कंपनियों को कच्ची चीनी के आयात से भी नुकसान उठाना पड़ा है, जिन्होंने उच्च कीमतों पर आयात सौदे किए हैं। उस समय चीनी के घरेलू दाम ज्यादा थे। बहरहाल इस समय चीनी की कीमतें गिर गई हैं और कंपनियां चीनी लाकर उन्हें प्रसंस्करित कर रही हैं। त्रिवेणी इंजीनियरिंग के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ध्रुव साहनी ने कहा कि चीनी की बाजार धारणा सही है और कीमतें भी तार्किक मिल रही हैं। लेकिन कंपनियों ने इस साल गन्ने को बहुत ही ज्यादा दाम पर खरीदा है, जिसकी वजह से नुकसान हो रहा है। (BS Hindi)
16 अगस्त 2010
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