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04 अगस्त 2010

जिंस बाज़ार पर चीन का बुखार!

मुंबई August 03, 2010
भाव के मामले में कुछ वक्त पहले आग उगल रही जिंस अब ठंडी पड़ती नजर आ रही हैं। दरअसल चीन में जिंस की कीमतें कम हो रही हैं, जिनका असर दुनिया भर में स्टील, जस्ते और एल्युमीनियम पर पड़ रहा है।पिछले तीन महीने में चीन में देसी मांग से ज्यादा जिंस उत्पादन हो रहा है। वहां विनिर्माण में वृद्घि की रफ्तार फरवरी 2009 जितनी मंद पड़ गई है, जबकि दुनिया भर में तेज वृद्घि हो रही है। चीन में जिंस की घटती कीमतों का असर भारतीय कंपनियों पर भी पडऩे की आशंका है।भारतीय रिजर्व बैंक भी इस बात को भांप रहा है और उसके गवर्नर डी सुब्बाराव चीन में चल रही हलचल से चिंतित हैं। मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करते वक्त पिछले हफ्ते ही सुब्बाराव ने कहा था, 'वैश्विक आर्थिक खुशहाली की धुंधलाती तस्वीर के बीच बिजली और जिंस के भाव कमजोर पड़ रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था की सुस्ती इस बात की पुष्टि भी कर रही है।'दरअसल अप्रैल के मध्य से चीन ने मौद्रिक सख्ती और रियल्टी क्षेत्र में उछलते दाम कम करने की जो कोशिश की, उसकी वजह से तमाम जिंस के भाव उलटी चाल चलने लगे। यूनान की समस्या ने इसमें और घुन लगा दिया। अगर पिछले हफ्ते सभी जिंस के भाव में मामूली बढ़त को छोड़ दें तो अप्रैल के मध्य से धातुओं के भाव 8 से 24 फीसदी कम हैं। इस्पात 15 फीसदी सस्ता है, लौह अयस्क 25 फीसदी कम भाव पर है और बेंजीन, नाफ्था और पीवीसी जैसे पेट्रोरसायन 9 से 13 फीसदी सस्ते चल रहे हैं। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी शेषगिरि राव कहते हैं, 'पखवाड़े भर पहले चीन ने स्टील के निर्यात पर छूट भी हटा ली, जिससे वहां चीन का उत्पादन और कम हो गया। इसके कारण लौह अयस्क और कोयले जैसे कच्चे माल की कीमतें नरम हो सकती हैं, जो भारतीय कंपनियों की लागत कम करने में मददगार होगा।'लेकिन क्रिसिल रिसर्च के प्रमुख मनोज मोहता कहते हैं, 'साल भर पहले के मुकाबले स्टील की कीमत ज्यादा ही रहेगी क्योंकि कच्चे माल की कीमत भी बढ़ी है। 2009 में उसका भाव 470-475 डॉलर प्रति टन था, जो इस साल 625-650 डॉलर प्रति टन रहेगा। इसके बाद भी जिन स्टील निर्माताओं के पास अपनी खदानें नहीं हैं, उन्हें अगले वित्त वर्ष तक परिचालन मार्जिन में कमी झेलनी पड़ेगी।'पेट्रोरसायन उद्योग के सूत्रों का कहना है कि पॉलिमर और पेट्रोरसायन के भाव मौजूदा स्तर पर ही रहेंगे, जो अप्रैल के मुकाबले 10 से 15 फीसदी कम हैं। इसके अलावा पिछले तीन महीने में एल्युमीनियम, जस्ता, सीसा और निकल के भाव भी 9 से 25 फीसदी कम हो गए हैं। (बीएस हिंदी)

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