मुंबई August 03, 2010
छोटे कारोबारियों को आकर्षित करने लिए भारतीय खाद्य निगम खरीद के लिए न्यूनतम निर्धारित मात्रा को वर्तमान 100 टन से घटाकर 10 टन करने पर विचार कर रहा है। इस समय गेहूं खरीद लक्ष्य के मुताबिक नहीं हो रही है और इसके लिए एफसीआई पर उद्योग के प्रति मित्रवत न होने के आरोप के साथ चौतरफा हमले हो रहे हैं। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'इस सिलसिले में फैसला हो चुका है। जल्द ही अधिसूचना जारी हो जाएगी।' हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत के दौरान एफसीआई के चेयरमैन सिराज हुसैन ने संकेत दिया था कि जल्द ही उद्योग जगत के अनुकूल नीतियों में बदलाव किया जाएगा।नीतियों में बदलाव सेंट्रल वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन (सीडब्ल्यूसी) के मानकों के अनुरूप किया जाएगा, जो छोटे कारोबारियों को आकर्षित करने में खासी मददगार हैं। वर्तमान में खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत हाजिर एक्सचेंज में गेहूं की बिक्री की न्यूनतम मात्रा 100 टन है। लेकिन सरकार द्वारा तय की गई कीमतें खुले बाजार की तुलना में ज्यादा हैं, जिसके चलते आटा चक्कियों के लिए यह दरें लाभदायक नहीं हैं। तीन नीलामी में फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिज प्रवर्तित नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) ने कुल 2400 टन गेहूं की बिक्री की है। वहीं नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) गेहू की बिक्री करने में असफल रहा है। अधिकारी ने कहा, 'इस विचार के पीछे मकसद यह है कि छोटी आटा चक्कियां एफसीआई के मानकों के मुताबिक 10 टन गेहूं की खरीद कर सकें। कम क्षमता होने की वजह से वे ओएमएसएस के टेंडर में शामिल नहीं हो पातीं। इसे लागू करने के बाद एफसीआई ज्यादा मात्रा में गेहूं की बिक्री कर सकेगा, जिससे आटा, सूजी और मैदा खुले बाजार में आ सकेंगी।'पिछले माह की शुरुआत में एनएससीएल ने निगम से अनुरोध किया था कि न्यूनतम खरीद की मात्रा कम की जानी चाहिए, जिससे 10 टन क्षमता वाली फ्लोर मिलें खरीद में हिस्सेदारी ले सकें। एफसीआई ने हालांकि पैन कार्ड जैसे पहचान पत्र दिखाने के बाद एक गोदाम से न्यूनतम 3 टन और अधिकतम 9 टन माल उठाने की छूट दी है। लेकिन अगर एक दिन में इससे ज्यादा मात्रा में माल उठाना हो तो इसके लिए टेंडर में भाग लेना जरूरी होता है।तमाम मामलों में देखा गया है कि अगर फ्लोर मिलें गोदाम से ज्यादा दूर हैं तो वे सीधी खरीदारी नहीं करती हैं। बहरहाल एसएसईएल के एमडी व सीईओ अंजनि सिन्हा ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'हमारे बहुतायत सदस्य एफसीआई के टेंडर में सीधी भागीदारी से वंचित रह जाते थे, जो अब अपनी जरूरत के मुताबिक खरीदारी कर सकेंगे।' (बीएस हिंदी)
04 अगस्त 2010
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