मुंबई August 03, 2010
मौजूदा कपास सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान उत्पादन की तुलना में कपास की खपत बढ़ सकती है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन में गिरावट की वजह से कम-से-कम पिछले 5 वर्षों में पहली बार ऐसा होने की आशंका जताई जा रही है। कपड़ा मंत्रालय के अधीन औद्योगिक संस्था 'कपास सलाहकार बोर्ड' (सीएबी) ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को एक बैठक की। इसमें अंदाजा लगाया गया कि इस बार कपास के कुल 295 लाख गांठों (1 गांठ= 170 किलोग्राम) का उत्पादन होगा, जबकि खपत 333 लाख गांठों की रहेगी। हालांकि इस स्थिति से निपटने के लिए संसाधन मौजूद हैं। खपत के मुकाबले उत्पादन में कमी की भरपाई पिछले साल के बचे हुए कपास के 70।1 लाख गांठों से कर ली जाएगी। लेकिन चिंता की वजह दूसरी है। इस बार कपास के रकबे में 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कीटों के हमले की आशंका के चलते उत्पादन महज 1.72 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है। सीएबी की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष कपास का रकबा 103.23 लाख हेक्टेयर है। (बीएस हिंदी)
04 अगस्त 2010
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