मुंबई February 06, 2010
निवेश के लिए स्वर्ग समझे जाने वाले सोने की कीमतों में मुंबई में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऐसा मुख्यत: जिंसों की कीमतों में वैश्विक गिरावट की वजह से हुआ है।
तांबे और एल्युमीनियम की कीमतों में लंदन में शुरुआती कारोबार के दौरान क्रमश: 4.75 प्रतिशत गिरकर 6259 डॉलर प्रति टन और 4.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1964 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। मैक्रो इकोनॉमिक खतरों और कर्ज से लदे यूनान, पुर्तगाल और स्पेन की वित्तीय स्थिति के असर के चलते लंदन में कारोबार के दौरान डॉलर में मजबूती दर्ज की गई है।
जिंस बाजार में गिरावट वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचाव के चलते भी आई है। पिछले 2 दिनों में सोने की कीमतों में 50 डॉलर प्रति औंस की गिरावट आई है। इसके साथ ही आज मुंबई में स्टैंडर्ड गोल्ड की कीमतें 3 प्रतिशत कम हो गईं। यह 515 रुपये गिरकर 16055 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। लंदन में सोने का कारोबार 1053 डॉलर प्रति औंस पर हुआ।
जिंसों की कीमतों में इस साल की शुरुआत से ही तेज गिरावट है। इसके पीछे प्रमुख वजह वैश्विक आर्थिक भय माना जा रहा है। अमेरिका की ओर से मिल रहे संकेतों से आर्थिक सुधार पर दबाव बन रहा है। इसकी वजह से मंदी का भय बना हुआ है।
तांबे और जस्ते जैसे औद्योगिक जिंसों की कीमतों में क्रमश: 16 प्रतिशत और 22 प्रतिशत की गिरावट आई है। इनका प्रयोग वैश्विक रूप से उपभोक्ता उद्योग में होता है। निर्माण क्षेत्र में वैश्विक रूप से निवेश में कमी आई है और बैंकों ने ब्याज दरों में रिकवरी शुरू कर दी है।
बाजार मुख्य रूप से 4 खतरों से डरा हुआ है- अमेरिका के बजट पूर्वानुमान से मिली निराशा, चीन के बैंकों द्वारा कर्ज देने में कमी करना, डॉलर सूचकांक में गिरावट और वैश्विक इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट। आनंद राठी के मूल धातुओं के विश्लेषक नवनीत दामानी के मुताबिक इन सभी प्रभावों के चलते जिंसों की कीमतें गिर रही हैं।
जिंस कारोबार इस समय यूरो जोन के 16 देशों में के बाजारों में चल रही गतिविधियों से दबाव में है, जहां अर्थशास्त्रियों को डर है कि कर्ज भुगतान का संकट आने वाले समय में और बढ़ेगा। इसके अलावा मैक्रो इकोनॉमिक खतरों की वजह से डॉलर पर भी असर पड़ा है। खासकर कर्ज के संकट से ग्रस्त देशों यूनान, पुर्तगाल और स्पेन की वित्तीय सेहत खराब हो सकती है।
इस सप्ताह की शुरुआत में ओबामा प्रशासन ने टीएआरपी बैंक के राहत पैकेज फंड के 30 अरब डॉलर को बेहतर प्रदर्शन वाले छोटे उद्योगों को देने का प्रस्ताव रखा था। यह कदम तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए उठाया गया।
इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति 2010 वित्त वर्ष में 100 बिलियन डॉलर का एक पैकेज देना चाहते हैं, जिससे बिजनेस टैक्स क्रेडिट और नौकरियों के सृजन के लिए अन्य कदमों के लिए इस्तेमाल किया जाए, जिससे मध्य वर्ग के संघर्षरत लोगों को नौकरियां मिल सकें।
इसके साथ ही 6 मुद्राओं की तुलना में डॉलर सूचकांक में जुलाई 2009 के मध्य के बाद से लगातार गिरावट आ रही है। इसकी वजह से यूरो को जगह बनाने में मदद मिली है। डॉलर सूचकांक पिछले 2 सत्र से औसतन 0.7-0.8 प्रतिशत प्रतिदिन के हिसाब से गिरा है।
नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के प्रमुख अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि किसी तरह की जोखिम से बचने के लिए ऐसा हो रहा है। वैश्विक बाजारों में गिरावट इसकी वजह है।' हाल के पिछले दिनों में जिसों की कीमतों में गिरावट की वजह सांख्यिकीय वजहों को दर्शाता है और यह लगातार गिरावट के संकेत नहीं देता है।
खाद्यान्नों की आवक का असर इसकी कीमतों पर पड़ा है, जो अब भी बना हुआ है। इसी तरह से जहां दालें, सब्जियां, मोटे अनाजों की कीमतों में गिरावट हो रही है, वे अभी भी सामान्य स्तर पर नहीं पहुंची हैं। वैश्विक रूप से जिंसों की कीमतों में मजबूती है। कच्चे तेल की कीमतें आर्थिक सुधार के संकेत दे रही हैं। सोने की कीमतों की ऊंचाई डॉलर की वजह से है।
यही मूल सिध्दांत हैं, जिसके आधार पर जिंसों की कीमतें चल रही हैं। इसके अलावा गैर कृषि जिंसों में उतार-चढ़ाव की स्थिति देखने को मिलेगी। वहीं घरेलू बाजार में कृषि जिंसों की कीमतों पर रबी की फसलों का असर देखने को मिलेगा। यूनान, स्पेन और पुर्तगाल में कर्ज का संकट बढ़ने के साथ ही यूरोप, एशिया और अमेरिका के इक्विटी बाजारों में गिरावट आई है।
डॉलर की तुलना में यूरो अपने जून के स्तर से कमजोर हुआ है। इसकी वजह है कि यूरोपियन केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष जीन क्लाउड ट्राइचेट ने अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता होने का अनुमान लगाया है। सोने की कीमतें भी पिछले दो महीनों में गिरी हैं। इसकी वजह भी डॉलर है।
इसके चलते धातुओं को वैकल्पिक निवेश स्थल के रूप में इस्तेमाल करने में कमी आई है। 2009 में सोने की कीमतों में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 3 दिसंबर को 1226।56 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया और डॉलर की कीमतों में 6.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। (बीएस हिन्दी)
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