इंदौर February 20, 2010
यूरिया की कीमतों में 10 फीसदी इजाफा किए जाने के सरकारी फैसले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कड़ा विरोध जताया।
लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि यूरिया की कीमतों को बढ़ाया जाना किसी भी तरह से देश के किसानों के पक्ष में नहीं है। भाजपा शासित प्रदेशों गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों और बिहार के उपमुख्यमंत्री ने केंद्र के इस फैसले को तुरंत वापस लिए जाने की वकालत की है।
यूरिया की कीमतों में यह बढ़ोतरी 1 अप्रैल से लागू होगी। इसके जरिए खाद पर सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी का बोझ कम होगा जो चालू वित्त वर्ष में 50,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
इंदौर में चल रही भाजपा की दो दिवसीय बैठक में आडवाणी ने सवाल उठाया, 'यूरिया की कीमतों में इजाफा किया जाना किस तरह से पहले से ही मुश्किलें झेल रहे किसानों के हित में है? जब केंद्र सरकार ने किसानों के ऋण माफ किए थे, तब भी देश में, खास तौर से विदर्भ में किसान आत्महत्याएं बढ़ी थीं। अभी खाद्य महंगाई दर बहुत ज्यादा है। ऐसे में खाद की कीमतें बढ़ाकर सरकार ने किसानों के साथ अन्याय किया है।'
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने केंद्र के कदम पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे किसानों की समस्याएं और बढ़ जाएंगी। चौहान का कहना है कि सरकार को यूरिया की कीमतों में बढ़ोतरी के फैसले को जल्दी से जल्दी वापस लेना चाहिए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बढ़ती कीमतों के लिए सरकार की गलत वित्तीय नीति को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'जहां तक यूरिया की के दाम बढ़ाए जाने की बात है यह एक कठोर फैसला है जिसका नुकसान किसानों को झेलना होगा।' छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि यह किसान समाज पर नकारात्मक असर डालेगा।
सरकार के मंत्रियों ने की मोटी कमाई
भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का कहना है कि इस समय कीमतों का इस हद तक बढ़ना देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण मसला है। इसके लिए पूरी तरह से कांग्रेस सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।
सिन्हा ने कहा महंगाई के पीछे प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर हो रहे भ्रष्टाचार का भी हाथ है। उन्होंने कहा कि कमोडिटी बाजार में वायदा कारोबार के जरिए मंत्रिमंडल के सदस्यों ने काफी कमाई की है। कमोडिटी एक्सचेंजों में कुल 4.50 लाख रुपये का वायदा कारोबार हुआ है जिसमें से महज एक फीसदी वास्तविक सौदौं में तब्दील हुए। बाकी सारे सौदे सिर्फ सट्टेबाजी के थे।
चीनी को लेकर सरकार ने कई गलत फैसले लिए हैं। देश में चीनी की कमी को लेकर साफ संकेत मिलने के बावजूद सरकार ने करीब 49 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी। उनके मुताबिक गेहूं के आयात में भी बड़े घोटाले हुए।
भारी मात्रा में घटिया गेहूं ऊंचें दाम पर आयात किया गया जो अब बर्बाद हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अफ्रीकी देशों को चावल के निर्यात में भी घोटाला हुआ जिसमें सरकार के बड़े मंत्री शामिल हैं।
पहले से ही मुश्किलें झेल रहे किसानों के हित में नहीं
भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और लाल कृष्ण आडवाणी ने सरकार द्वारा यूरिया के दाम में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी के फैसले का विरोध कियायशवंत सिन्हा ने कहा कि कमोडिटी बाजार में मंत्रिमंडल के सदस्यों ने की कमाई, इसकी वजह से बढ़े खाद्यान्न के दाम (बीएस हिन्दी)
20 फ़रवरी 2010
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