कोच्चि February 19, 2010
रबर उद्योग की मानें, तो बजट के बाद टायर की कीमतें बढ़ सकती हैं।
प्राकृतिक रबर की बढ़ती कीमतों की वजह से बड़े टायर उत्पादकों पर दाम बढ़ाने को लेकर काफी दबाव है। जनवरी के पहले हफ्ते में भी कंपनियों ने टायर की कीमतें 2-7 फीसदी तक बढ़ाई थीं। हालांकि उद्योग इस बार बजट से कुछ अच्छे की उम्मीद कर रहा है।
बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की कीमत 140 रुपये किलो तक पहुंच चुकी है। ऑटोमाटिव टायर मैनुफैक्चर्स एसोसिएशन(एटीएमए) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बजट के बाद टायरों की कीमतों में दोबारा बढ़ोतरी हो सकती है।
उन्होंने कहा, 'हमने बजट पूर्व ज्ञापन में वित्त मंत्री के सामने कुछ प्रस्ताव रखें हैं और सकरात्मक फैसलों की उम्मीद करते हैं।' फिलहाल रबर उत्पादन का मौसम नहीं होने की वजह से प्राकृतिक रबर बाजार में अगले कुछ महीनों तक स्थितियां ऐसी ही बनी रहेंगी। टायर कंपनियां मौजूदा कीमतों पर ज्यादा दिन कारोबार नहीं कर सकती हैं।
लिहाजा बजट में आने वाले निर्णयों के बाद टायर की कीमतों पर एक बार फिर गौर किया जाएगा। जे के टायर्स के विपणन निदेशक ए एस मेहता का कहना है कि कीमत वृद्धि के दूसरे चरण को लेकर कुछ कहना अभी जल्दीबाजी होगी। फिलहाल प्राकृतिक रबर और टायरों पर लगने वाला आयात शुल्क उद्योग के लिहाज से सही नहीं हैं।
टायरों के आयात पर 10 फीसदी और प्राकृतिक रबर के आयात पर 20 फीसदी की दर से आयात शुल्क लगता है। तैयार माल की तुलना में कच्चेमाल पर दोगुने आयात शुल्क को कैसे जायज ठहराया जा सकता है। इस बार के बजट में चरणबद्ध तरीके से वित्तीय राहतों की वापसी की भी संभावना जताई जा रही है। इससे भी रबर उद्योग पर दबाव बढ़ रहा है।
लिहाजा बजट के बाद कीमतें बढ़ाए जाने की काफी संभावना नजर आ रही है। बजट में उत्पाद कर भी 2 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। अभी सुस्ती के बादल पूरी तरह से नहीं हटे हैं। ऐसे में रबर उद्योग वित्तीय राहतों को जारी रखे जाने का इच्छुक है। मेहता ने कहा, 'बजट के बाद बाजार स्थितियों पर एक बार फिर से गौर किया जएगा जिसके बाद ही अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।'
अपोलो टायर्स के उत्पादन और विपणन प्रमुख सतिश शर्मा ने बताया कि टायर उद्योग में कच्चेमाल के तौर पर मुख्य रूप से प्राकृतिक रबर का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी कीमत आसमान छू रही है। इस वजह से टायर कंपनियों पर कीमतें बढ़ाने को लेकर काफी ज्यादा दबाव है।
उन्होंने कहा कि सब कुछ नए बजट पर निर्भर करता है। इसके बाद कीमतों की समीक्षा की जाएगी। बजट पूर्व ज्ञापन में एटीएमए ने कहा है कि विदेशों में सुस्ती का माहौल बने रहने की वजह से टायर निर्यात की स्थिति अच्छी नहीं है। (बीएस हिन्दी)
19 फ़रवरी 2010
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