24 फ़रवरी 2010
निर्यात मांग घटने से लाल मिर्च में और मंदी संभव
निर्यातकों की कमजोर मांग से लाल मिर्च की कीमतों में दस फीसदी की और गिरावट आने की आशंका है। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों अप्रैल से दिसंबर तक भारत से लाल मिर्च के निर्यात में पांच फीसदी की कमी आई है। उत्पादक मंडियों में आवक बढ़ने के बाद आयातक बाजार के रुख का इंतजार कर रहे हैं। वैसे भी चालू फसल सीजन में आंध्र प्रदेश में लाल मिर्च के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले करीब 35त्न की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। मुंबई स्थित मैसर्स अशोक एंड कंपनी के डायरक्टर अशोक दत्तानी ने बताया कि नई फसल को देखते हुए विदेश्ी आयातकों ने खरीद कम कर दी है। जिससे लाल मिर्च की कीमतों में गिरावट का रुख बना हुआ है। घरलू फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी होने के अनुमान से घरलू मसाला निर्माताओं की मांग भी कम हो गई है। इसीलिए घरेलू बाजार में पिछले डेढ़ महीने में लाल मिर्च की कीमतों में करीब 1000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर तक भारत से लाल मिर्च के निर्यात में पांच फीसदी की कमी आई है। इस दौरान निर्यात घटकर 1।39 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में निर्यात 1.46 लाख टन हुआ था। चालू वित्त वर्ष में निर्यात का लक्ष्य दो लाख टन का था लेकिन कुल निर्यात लक्ष्य से काफी कम रहने की आशंका है। गुंटूर चिली मर्चेटस एसोसिएशन के सचिव सुधाकर कोठारी ने बताया कि चालू फसल सीजन में आंध्र प्रदेश में लाल मिर्च के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई ही है। चालू सीजन में उत्पादन बढ़कर 1.35 करोड़ बोरी (प्रति बोरी 40 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल कुल उत्पादन एक करोड़ बोरी ही रहा था। इस समय बकाया स्टॉक भी करीब 4-5 लाख बोरियों का बचा है। गुंटूर के लाल मिर्च व्यापारी मांगीलाल मूंदड़ा ने बताया कि मंडी में लाल मिर्च की दैनिक आवक बढ़कर 1.25 लाख बोरी की हो गई है। नए माल में नमी की मात्रा 10 से 20 फीसदी की होने के कारण स्टॉकिस्टों के साथ ही मसाला निर्माताओं की मांग भी कमजोर बनी हुई है। इसीलिए पिछले डेढ़ महीने में 334 क्वालिटी की लाल मिर्च के भाव 5500 रुपये से घटकर 4500 रुपये और तेजा क्वालिटी की लाल मिर्च के भाव 6500-6700 रुपये से घटकर 5000-5200 रुपये प्रति क्विंटल और फटकी क्वालिटी के भाव 3000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2000-2500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। आवक बढ़ने पर आगामी दिनों में इसकी मौजूदा कीमतों में और भी 500-600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की आशंका है। rana@businessbhaskar.netबात पते कीचालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक लाल मिर्च का निर्यात पांच फीसदी घटकर 1.39 लाख टन रह गया। दो लाख टन निर्यात का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें