मुंबई February 12, 2010
खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 28 नवंबर को खत्म सप्ताह में 17 सालों के सर्वोत्तम स्तर 19.05 फीसदी पर पहुंच गई थी। अब कृषि उत्पादों की कीमतें घट रही हैं।
अर्थशास्त्रियों की मानें तो खाद्य उत्पादों की महंगाई निकट भविष्य में 12 फीसदी पर आ सकती है। कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट ऐंड प्राइसेज (सीएसीपी) के चेयरमैन प्रो. एस महेंद्र देव ने एक सम्मेलन में कहा कि रबी के अच्छे मौसम और ज्यादा उत्पादन से कीमतों में कमी आ सकती है।
खाद्य उत्पादों की महंगाई दर जल्द ही 12 फीसदी तक जा सकती है और आगे इसमें और कमी देखी जा सकती है। सीएसीपी का गठन मुख्य कृषि उत्पादों की कीमत निर्धारण में सरकार को सलाह देने के लिए किया गया था। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के निर्धारण में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अभी तक सरकार खाद्य उत्पादों की कीमतों पर काबू पाने के लिए कई कदम उठा चुकी है। उन्होंने बताया कि बढ़िया रबी फसल की वजह से कई कृषि उत्पादों की कीमतों में नरमी आने लगी है। दाल, चावल, गेहूं और कुछ हद तक चीनी के दाम कम होने लगे हैं। मगर खाद्य तेल और दूध के दाम अभी भी चिंता के विषय हैं।
पिछले दो महीनों में दालों के भाव में 28 फीसदी की कमी आ चुकी है। वहीं, गेहूं की कीमतों में 12 फीसदी और चावल की कीमतों में 20 फीसदी की गिरावट आई है। 7 जनवरी को 3,975 रुपये प्रति क्विंटल तक चढ़ चुकी चीनी भी अब धीरे-धीरे कमजोर होने लगी है। हाजिर बाजार में चीनी की कीमतों में 15 फीसदी की कमी आ चुकी है।
2009-10 में देश में गेहूं का उत्पादन 8.25 करोड़ टन रहने का अनुमान है। यह पिछले साल की तुलना में 20 लाख टन ज्यादा है। 4 फरवरी तक इस साल 2.77 करोड़ हक्टेयर रकबे में गेहूं की बुआई हुई है। पिछले साल इसी अवधि में 2.75 करोड़ हेक्टेयर रकबे में गेंहू की खेती हुई थी। वहीं, यूशर एग्रो लिमिटेड के प्रबंध निदेशक वी के चतुर्वेदी ने चावल के उत्पादन में कमी की आशंका जताई है।
उनके मुताबिक इस साल चावल का उत्पादन पिछले साल के 9 करोड़ टन के बजाए 9.5 करोड़ टन रहेगा। एनसीडीईएक्स के प्रधान अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है, 'कीमतों के कमी के बावजूद कृषि उत्पाद पिछले साल के स्तर तक नहीं पहुंच पाएंगे।'
पिछले साल तुअर दाल की कीमत 45 रुपये किलो थी जो 100 फीसदी चढ़कर 90 रुपये किलो पर पहुंच गई। इस तरह अगर कीमतें 65 रुपये तक भी नीचें जाती हैं, तो भी यह पिछले साल के मुकाबले ज्यादा होगी।
पिछले साल कीमतों के रिकार्ड स्तर तक चढ़ने की वजह से इस साल किसानों ने सभी प्रमुख फसलों की खेती अपेक्षाकृत ज्यादा जमीन में की है। इससे इस बार के रबी मौसम में पैदावार में बढ़त हुई है जिसका कीमतों पर असर होगा। सबनवीस ने कहा, 'हम यह निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 12 फीसदी तक गिरेगी, लेकिन इसमें कमी जरूर आएगी।'
लंदन स्थित गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री ने बिजनेस स्टेंडर्ड को बताया, 'हमें लगता है कि भारत में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर में कमी आएगी। गेहूं, दूसरे अनाजों, दालों और सब्जियों के भाव कम होंगे। मगर खाद्य तेलों के मामले में स्थिति उल्टी नजर आ रही है। अभी तक खाद्य तेलों की कीमतों में बहुत ज्यादा उछाल नहीं आई है, लेकिन आयातित खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों की वजह से बाजार में तेलों का भाव चढ़ सकता है।'
पाम तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें नीचें जाने और रुपये में मजबूती की वजह से आयात लागते नियंत्रण में रही हैं। मलेशियाई डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में कच्चे पाम तेल की कीमतें इस साल अभी तक 781.7 डॉलर प्रति टन से 747.45 डॉलर प्रति टन तक गिर चुकी हैं।
मिस्त्री का कहना है कि सरकार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चालू रखना चाहिए और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सब्सिडी भी देनी चाहिए। इस साल चीनी का उत्पादन कम है, लेकिन सीएसीपी के प्रो। देव आने वाले दो सालों में चीनी का उत्पादन बढ़ने की संभावना जता रहे हैं। (बीएस हिन्दी)
12 फ़रवरी 2010
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