महंगाई पर अंकुश लगाने की खातिर केंद्र सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ को रियायती दरों पर गेहूं और चावल उपभोक्ताओं को बेचने के लिए आवंटित तो किया है, लेकिन इन दोनों संस्थाओं ने केंद्र सरकार द्वारा आवंटित गेहूं और चावल का एक दाना भी अभी तक नहीं उठाया है। उधर, राज्य सरकारों ने भी अभी तक आवंटित कुल गेहूं में से मात्र 15 फीसदी और कुल चावल में से केवल 42 फीसदी का उठाव किया है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को सस्ता राशन उपलब्ध कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) को 37,400 टन गेहूं और 17,000 टन चावल आवंटित किया है। इसी तरह नेशनल कंज्यूमर कोऑपरटिव फेडरशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) को 32,684.16 टन गेहूं और 11,000 टन चावल आवंटित किया गया है। इसका उठाव इन संस्थाओं को 31 मार्च तक करना है, लेकिन अभी तक किसी ने भी गेहूं और चावल को उठाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। उधर राज्यों के साथ-साथ खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बड़े उपभोक्ताओं द्वारा भी गेहूं और चावल का उठाव सीमित मात्रा में ही किया जा रहा है। राज्यों द्वारा अभी तक मात्र 3 लाख टन गेहूं और 4.26 लाख टन चावल का उठाव किया गया है।
इसी तरह खुला बाजार बिक्री योजना के तहत बड़े उपभोक्ताओं ने भी अभी तक केवल 8।30 लाख टन गेहूं का ही उठाव किया है, जबकि केंद्र सरकार ओएमएसएस के तहत और गेहूं आवंटित करने की तैयारी में है। गेहूं और चावल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 20 लाख टन गेहूं एवं 10 लाख टन चावल आवंटित किया था, लेकिन राज्यों सरकार की ओर से खाद्यान्न का सीमित मात्रा में ही उठाव हो पाया है। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)
17 फ़रवरी 2010
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