18 फ़रवरी 2010
दूध कीमतों पर अंकुश के लिए सक्रिय सरकार
पिछले एक साल के दौरान दूध और दूध उत्पादों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से बेचैन केंद्र सरकार अब कीमतें काबू करने में जुट गई है। इसके लिए 30,000 टन स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) और 15,000 टन बटर आयल के शुल्क मुक्त आयात की तैयारी की जा रही है। बुधवार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई सचिवों की समिति की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। अब इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन दूध उत्पादक किसानों के लिए यह खरीद मूल्य में भारी गिरावट का कारण बन सकती है। सरकार में उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक एसएमपी और बटर आयल का यह आयात टैरिफ रट कोटा (टीआरक्यू) के तहत करने का प्रस्ताव है। इस समय टीआरक्यू के तहत किसी एक वित्त वर्ष (अप्रैल से मार्च) में 10,000 टन एसएमपी ही आयात किया जा सकता है। इस पर दस फीसदी सीमा शुल्क लगता है। इससे अधिक मात्रा के लिए 60 फीसदी का सीमा शुल्क लागू है। सचिवों की समिति द्वारा मंजूर प्रस्ताव के मुताबिक 30,000 टन एसएमपी और 15,000 टन बटर ऑयल का शुल्क मुक्त आयात किया जाएगा। इस समय बटर आयल पर 30 फीसदी का सीमा शुल्क लागू है। अभी किसी भी वित्त वर्ष के दौरान टीआरक्यू के तहत आयात करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की इजाजत लेनी होती है। यह आयात एनडीडीबी द्वारा खुद या सरकारी एजेंसियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी और नेफेड के जरिये ही किया जा सकता है। कोई उपयोगकर्ता उद्योग एनडीडीबी में आवेदन कर आयात कर सकता है, लेकिन सौदा करने के बाद आयात का जिम्मा सरकारी एजेंसियों का ही होता है। प्रमुख डेयरी कंसल्टेंट डॉ. आर.एस. खन्ना का कहना है कि इस समय विश्व बाजार में एसएमपी की कीमत 2700 से 3000 डॉलर प्रति टन चल रही है। भारतीय मुद्रा में यह कीमत 125 से 130 रुपये किलो बैठती है, जबकि घरलू बाजार में कीमत 140 रुपये किलो चल रही है। विश्व बाजार में बटर आयल की कीमत 4000 डॉलर प्रति टन है जो आयात करने पर करीब 190 रुपये किलो बैठेगी। उनका कहना है कि विश्व बाजार में एसएमपी और बटर आयल की उपलब्धता काफी है। इसके बड़े निर्यातकों आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड डेयरी बोर्ड की कीमतें पोलैंड व यूक्रेन से ज्यादा हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता बेहतर है। (शेष पेज 10 पर)जहां तक अमेरिका, कनाडा और यूरोप की बात है तो वहां एसएमपी निर्यात पर सब्सिडी दी जाती है और वहां भी कीमत आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड से कम है। सरकार का यह फैसला अगर लागू होता है तो इससे दूध किसानों को मिल रही खरीद कीमत दो रुपये लीटर तक गिर सकती है। इस समय 325 से 350 रुपये प्रति किलो फैट (6.5 फीसदी फैट के दूध) के आधार पर खरीद कीमत 18.50 रुपये से 19 रुपये प्रति लीटर पड़ रही है। सरकार की समस्या यह है कि चालू फ्लश सीजन में भी दूध की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में ताजा कीमत बढ़ोतरी के बाद अमूल दूध (फुल क्रीम) की कीमत 30 रुपये लीटर हो गई है। मुंबई और दूसर शहरों में कीमत पहले ही ज्यादा है। ऐसे में सरकार को आगामी लीन सीजन की चिंता सता रही है क्योंकि उन दिनों में दूध उत्पादन में गिरावट होती है। दिल्ली में मदर डेयरी ने अभी दूध की कीमत को 28 रुपये लीटर पर ही रखा है। हो सकता है कि सस्ते एसएमपी आयात की उम्मीद में उसने कीमत में इजाफा नहीं किया हो। यहां एक बयान जारी कर मदर डेयरी ने जल्दी ही दिल्ली और एनसीआर में दूध की बिक्री तीस लाख लीटर पर ले जाने का लक्ष्य रखा है।लेकिन सचाई यह है कि मदर डेयरी तरल दूध की आपूर्ति की भारी किल्लत से जूझ रही है और बड़ी मात्रा में एसएमपी का उपयोग दूध बनाने में कर रही है। हाल ही में उसने आयरिश डेयरी बोर्ड से 2550 टन एसएमपी आयात का सौदा भी किया है। (बिज़नस भास्कर)
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