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12 फ़रवरी 2010

मुश्किल है हाजिर, वायदा का मिलन

मुंबई February 11, 2010
देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स पर दिसंबर में शुरू हुए वायदा और हाजिर सौदों को आपसी बातचीत से निपटान के लिए ईएफपी (एक्सचेंज ऑफ फ्यूचर्स फॉर फिजिकल्स) सुविधा के नतीजे आने लगे हैं।
एक्सचेंज की कोशिशों के बावजूद शुरुआती दौर में नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं। इसकी वजह इन सौदों के बारे में भारतीय कारोबारियों की जानकारी कम होना माना जा रहा है। ईएफपी सौदों को बाजार पकड़ने के लिए थोडे और समय की जरूरत है।
ईएफपी सौदे का मतलब दो व्यापारियों के बीच परस्पर बातचीत एवं सहमत भाव से हाजिर जिंस का वायदा अनुबंध से निपटान करना होता है। ईएफपी सौदों में या तो नए वायदा या फिर चालू वायदा हाजिर जिंसों के साथ निपटाए जाते हैं।
कमोडिटी एक्सचेंजों को इस तरह के सौदे के लिए पिछले साल अक्टूबर में वायदा बाजार आयोग ने अनुमति दी थी और इसके बाद एमसीएक्स ने दिसंबर में इस तरह के सौदों की शुरुआत जोर शोर के साथ की। इन सौदों की पहली डिलिवरी 28 फरवरी को आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में चांदी के मार्च अनुबंध में हाजिर बाजार के दो व्यापारियों के बीच आपसी बातचीत के जरिए 30 किलो चांदी के सौदे से हुई। ईएफपी का भारत में यह पहला सौदा था।
ईएफपी सौदों के पहले क्रेता अपना कमोडिटी ट्रेड के प्रबंध निदेशक अमित कुमार अग्रवाल का कहना है कि ईएफपी उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है क्योंकि हमने वायदा के भावों के आधार पर डिलिवरी उठाई है। ईएफपी सौदे में शामिल विक्रेता कैप्स गोल्ड के निदेशक एम चंदा वेंकटेश ने कहा कि यह सुविधा उनके व्यवसाय के लिए परफेक्ट सोल्यूशंस है।
पहले वे हाजिर से माल खरीदने के लिए डि-हेज करते थे। ईएफपी ने अब इसे आसान कर दिया है। ईएफपी सौदों को हालांकि उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली है। ऐंजल ब्रोकिंग के कमोडिटी रिसर्च हेड अमर सिंह कहते हैं, ईएफपी सौदों का रिस्पांस फिलहाल तो शून्य ही कहा जा सकता है। जिसकी मुख्य वजह कारोबारियों में इस सौदे के बारे में जानकारी का अभाव होना है।
कॉन्सेप्ट अच्छा है और एक्सचेंज की कोशिशें सही दिशा में जा रही है जिसको देखते हुए आगे चलकर ईएफपी बाजार की लय में आ सकता है। अगर कारोबारियों को सही तरीके से जानकारी दी जाए और उनको समझा जाए तो भारत में ईएफपी हाजिर और कमोडिटी वायदा बाजारों के बीच महत्वपूर्ण क ड़ी का काम कर सकता है।
ईएफपी के बारे में एमसीएक्स मुख्य बिजनेस अधिकारी सुमेश पारसराम पुरिया कहते हैं कि यह सच है कि अभी तक 30-30 किलोग्राम के कुल दो सौदे हुए हैं लेकिन हमारे पास इस समय सौदों की लंबी लिस्ट है। जिसमें करीबन 1500 किलोग्राम चांदी के सौदे, 80 किलोग्राम सोने के अलावा तांबा, जस्ता, एल्युमीनियम, निकल, सीसा के सौदे शामिल हैं।
सुमेश कहते हैं कि यह नहीं भुलना चाहिए कि इस सौदे को सफल होने के लिए अमेरिका में 10 साल का वक्त लगा था, अभी हमें तो दो महीना ही हुआ है। ऐसे में सफल और असफल की बात ही नहीं उठती है। एक्सचेंज पर ईएफपी के माध्यम से डिलिवरी होने से हमें हाजिर और वायदा बाजारों को जोड़ने में मदद मिलेगी।
एमसीएक्स पर फिलहाल सोना, सोना मिनी, चांदी, चांदी मिनी, तांबा, जस्ता, एल्युमीनियम, निकल, सीसा, चना, गेहूं और मेंथा तेल में ईएफपी के कारोबार की सुविधा दी गई है। वैश्विक स्तर पर अनेक बड़े एक्सचेंजों में ईएफसी के सौदे हो रहे हैं जिनमें माइनापोलिस ऐंड कानसास एक्सचेंज, डालियन कमोडिटी एक्सचेंज, नायमेक्स, कॉमेक्स आदि शामिल हैं। (बीएस हिन्दी)

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