12 फ़रवरी 2010
यूपी में चीनी उत्पादन पिछले साल से आगे
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में चीनी उत्पादन की रफ्तार तेज हो गई है। गन्ना मूल्य पर विवाद के कारण देरी से पेराई शुरू होने का असर अब खत्म हो गया है। अब तक का चीनी उत्पादन पिछले साल की समान अवधि से आगे निगल गया है। पहली अक्टूबर से अभी तक 32.45 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस दौरान 31.55 लाख टन उत्पादन रहा था।उत्तर प्रदेश के गन्ना विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक राज्य में चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 65 फीसदी गन्ने की पेराई हो चुकी है तथा अब केवल 35 फीसदी ही गन्ना बचा है। इसमें से 12-13 फीसदी गन्ने की खपत बीज में हो जाएगी। पिछले पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में चीनी का कुल उत्पादन 40.50 लाख टन रहा था जबकि चालू पेराई सीजन में उत्पादन बढ़कर 41-42 लाख टन होने का अनुमान है।उधर सरकारी सख्ती के असर से पिछले एक सप्ताह में चीनी की कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। बुधवार को चीनी के एक्स-फैक्ट्री दाम घटकर 3700 रुपये और दिल्ली थोक बाजार में 3830-3850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि अभी फुटकर में चीनी का मूल्य 41-42 रुपये प्रति किलो से ऊपर ही बना हुआ है लेकिन उम्मीद है होली तक फुटकर में भी चीनी के दाम घटकर 40 रुपये प्रति किलो से नीचे आ जाएंगे। भारतीय खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अभी तक लगभग 58 लाख टन चीनी के आयात सौदे हो चुके हैं तथा इसमें से 50 लाख टन चीनी भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुकी है। आयात हो चुकी चीनी में 44 लाख टन रॉ-शुगर और छह लाख टन व्हाइट शुगर है। चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 160 लाख टन होने का अनुमान है। देश में चीनी का सालाना खपत लगभग 225 लाख टन की होती है। ऐसे में आगामी पेराई सीजन में उपलब्धता बनाने के लिए मिलों को और 20-30 लाख टन चीनी का आयात करना पड़ेगा।अधिकारी ने बताया कि सरकारी स्तर पर चीनी आयात करने की कोई योजना नहीं है। केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा आयात की गई रॉ-शुगर (गैर-रिफाइंड चीनी) को बेचने की अनुमति शीघ्र ही देगी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयातित रॉ-शुगर को राज्य में लाने पर रोक लगा रखी है जिसके कारण बंदरगाहों पर नौ लाख टन चीनी अटक गई थी। (बिज़नस भास्कर...आर अस राणा)
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