नई दिल्ली February 24, 2010
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय नई यूरिया नीति तैयार कर रहा है।
इसमें घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन देने, इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और आयात पर निर्भरता धीरे-धीरे घटाने पर बल दिया जाएगा। नई यूरिया नीति नई पोषक तत्व (न्यूट्रियेंट) आधारित उर्वरक नीति का पूरक होगी, जो 1 अप्रैल से लागू होने जा रही है।
पोषक तत्व आधारित नीति में कोशिश की गई है कि उर्वरक के रूप में काम आने वाले सभी पोषक तत्वों के बीच संतुलन हो। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम और सल्फर शामिल हैं, जो यूरिया से अलग हैं। सरकार ने यूरिया की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में एक अधिकारी ने कहा, 'उद्योग जगत को उचित ढंग से प्रोत्साहित किया जाएगा और हम यह भी देखेंगे कि उर्वरक कंपनियों के मुनाफे पर असर न पड़े। नई यूरिया नीति में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भारत की आयात पर निर्भरता कम हो।'
देश के कुल उर्वरक खपत में यूरिया की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है। इस समय देश में 210 लाख टन यूरिया का उत्पादन होता है, जबकि करीब 50 लाख टन यूरिया का आयात किया जाता है।
अधिकारी ने कहा, 'कीमतों की नीति में भी कुछ बदलाव होगा। हम इस समय उद्योग जगत के हिस्सेदारों से इस सिलसिले में बातचीत कर रहे हैं। जब यह अंतिम रूप ले लेगा तो हम इसे कैबिनेट समिति की आर्थिक मामलों की शाखा के पास स्वीकृति के लिए भेजेंगे।'
अधिकारी का यह भी कहना है कि 18 फरवरी को घोषित नई उर्वरक नीति के मुताबिक अब यूरिया का बहुत ज्यादा प्रयोग कम किया जाएगा, जैसा कि इस समय हो रहा है। नई नीति का यह उद्देश्य होगा कि इसमें उर्वरक के सभी पोषक तत्वों का उचित संतुलन हो। इससे मिट्टी की उत्पादकता बनी रहेगी और इससे देश की खाद्यान्न सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
सरकार यह भी चाहती है कि यूरिया उद्योग को प्रोत्साहन मिले और न केवल नए संयंत्र स्थापित किए जाएं बल्कि पुराने संयंत्रों को भी बेहतर और अधिक क्षमता युक्त बनाया जाए। टाटा केमिकल्स के कार्यकारी निदेशक कपिल मेहन ने कहा, 'यूरिया के लिए अलग से एक नीति बनाए जाने की जरूरत है, जिससे आयात पर हमारी निर्भरता कम हो और आयात में क्रमश: कमी आए।'
उन्होंने यह भी कहा कि यूरिया की कीमतों में बढ़ोतरी करने से कंपनियों को मामूली फायदा होगा और इससे कंपनी के मुनाफे पर कोई खास असर नहीं होगा। फर्टिलाइजर एसोसिएशन आफ इंडिया के मुताबिक एनपीके के अलावा माइक्रो न्यूट्रिएंट और सेकंडरी उर्वरकों की भी कमी है।
इसकी वजह से उत्पादकता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। प्रति किलो एनपीके के प्रयोग के आधार पर देखें तो फसल की उत्पादकता पांचवी योजना (1974-79) के 15 किलोग्राम की तुलना में घटकर ग्यारहवीं योजना (2007-11) में 6 किलो रह गई है।
एफएआई के डॉयरेक्टर जनरल सतीश चंदर ने कहा, 'समय की मांग है कि यूरिया के आयात पर निर्भरता कम की जाए। उद्योग जगत निवेश के लिए तैयार है और हममें क्षमता है। लंबी अवधि के हिसाब से देखें तो इससे यूरिया की कीमतों में भी कमी आएगी।'
घरेलू उद्योग को मिलेगा प्रोत्साहन
उर्वरक मंत्रालय द्वारा तैयार की जा रही नई नीति में घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन, निवेश बढ़ाने और आयात पर धीरे-धीरे निर्भरता घटाने पर जोर दिया जाएगाउद्योग जगत के भागीदारों से हो रही है बातचीततैयार मसौदा कैबिनेट के पास भेजा जाएगा (बीएस हिंदी)
24 फ़रवरी 2010
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