अहमदाबाद February 22, 2010
भारत में अरंडी का उत्पादन 2009-10 में 4 प्रतिशत गिरने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसकी वजह इस साल बुआई का क्षेत्रफल कम रहना और असमान बारिश हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के लिए कराए गए नीलसन सर्वे के मुताबिक 2009-10 में उत्पादन 9.34 लाख टन रहने का अनुमान है, जो 2008-09 में 9.76 लाख टन था।
सर्वे में कहा गया है कि गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश में बुआई के क्षेत्रफल में आई कमी के चलते उत्पादन कम रहने के आसार हैं। 2009-10 में अरंडी की बुआई का कुल क्षेत्रफल 7.40 लाख हेक्टेयर रहा, जिससे पता चलता है कि बुआई में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल 2008-09 में बुआई का कुल क्षेत्रफल 8.26 लाख हेक्टेयर था।
उद्योग जगत के लिए अच्छी खबर यह है कि चालू वित्त वर्ष में उत्पादकता में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। पिछले साल जहां 1180 किलो प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ था, वहीं इस साल 1216 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादन का अनुमान है। गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में इस साल बारिश, औसत बारिश से क्रमश: 31 प्रतिशत, 43 प्रतिशत और 10 प्रतिशत कम हुई है।
बुआई के क्षेत्रफल में 3 प्रतिशत कमी के बावजूद इस साल गुजरात में उत्पादन में 1 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान है। इसकी वजह यह है कि इस साल उत्पादकता में बढ़ोतरी के अनुमान लगाए जा रहे हैं। अनुमान है कि इस साल गुजरात में 7.34 लाख टन अरंडी का उत्पादन होगा, जबकि पिछले साल 7.25 लाख टन उत्पादन हुआ था।
राजस्थान में उत्पादन कम रहने का अनुमान है और 1.26 लाख टन उत्पादन होगा, आंध्र प्रदेश में 44 हजार टन उत्पादन का अनुमान है। जानकारों का कहना है कि इस जिंस की कीमतें उच्च बनी रहेंगी, क्योंकि भारत और चीन में अर्थव्यवस्था अच्छी है।
हैदराबाद की ट्रांसग्राफ कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मुरली कृष्ण ने कहा, 'अरंडी के बीज के मामले में जहां गिरावट की उम्मीद 2-3 प्रतिशत है, वहीं इसकी कीमतों में 12-15 की बढ़ोतरी की संभावना है।' वैश्विक अरंडी उत्पादन भी गिर सकता हैं। उम्मीद है कि 2009-10 में उत्पादन 13।24 लाख टन रहेगा जबकि पिछले साल 14.05 लाख टन उत्पादन हुआ था। (बीएस हिंदी)
23 फ़रवरी 2010
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