17 फ़रवरी 2010
सरकारी खरीद से देश में बढ़ सकते हैं गेहूं के दाम
नई दिल्ली : सरकार अगर गेहूं की आगामी फसल की बड़े पैमाने पर खरीद करती है तो इससे इसके दाम बढ़ सकते हैं। देश में गेहूं की सबसे अधिक खरीद करने वाला भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) इस वर्ष गेहूं की खेती करने वाले किसानों को 11 रुपए प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करेगा। अगर निजी कारोबारी गेहूं की पर्याप्त मात्रा का भंडार करने में नाकाम रहते हैं तो एफसीआई की कीमत शहरी मध्य वर्ग के ग्राहकों के लिए भी नया बेंचमार्क बन सकती है। इसके अलावा, मिलों और बड़ी बेकरी कंपनियों को भी आगामी महीनों में एफसीआई पर निर्भर रहना पड़ेगा। एफसीआई मुख्य तौर पर राशन की दुकानों के लिए गेहूं की खरीदारी करता है जिनमें कीमतों पर काफी सब्सिडी दी जाती है। देश की एक प्रमुख कमोडिटी ट्रेडिंग कंपनी अदानी विल्मर के एक अधिकारी ने कहा, 'इस वर्ष गेहूं के बाजार में निजी कारोबारियों का कोई खास महत्व नहीं होगा। मिलें एफसीआई की खुले बाजार में बिक्री की स्कीम पर निर्भर होंगी।' कारोबारियों का कहना है कि गेहूं की थोक कीमतें दिल्ली के बेंचमार्क बाजार में 11 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच सकती हैं और आने वाले महीनों में यह उस कीमत पर जा सकती हैं जिस पर एफसीआई निजी मिलों को गेहूं की बिक्री करेगा। नई फसल की अप्रैल में होने वाली डिलीवरी के लिए चेन्नई में कारोबारियों और मिलों के बीच शुरुआती सौदे 12.50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर हुए हैं। देश में इस वर्ष गेहूं की आठ करोड़ टन पैदावार होने की उम्मीद है। किसान आमतौर पर गेहूं की हर 10 बोरी में से छह की बिक्री करते हैं। इस तरह इस वर्ष केवल 4.8 करोड़ टन गेहूं बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। एफसीआई 2.4 करोड़ टन की खरीदारी के लक्ष्य के साथ हरियाणा और पंजाब में इस फसल की खरीदारी में दबदबा रखेगा। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार किसानों के लिए विशेष बोनस की घोषणा कर सकती है और वहां भी सरकारी एजेंसियां बड़े खरीदारों में शुमार हो सकती हैं। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सीधी खरीद करने की योजना बना रही बड़ी निजी कंपनियों को यह शपथपत्र देना होगा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम का भुगतान नहीं करेंगी।चेन्नई के एक मिल मालिक का कहना है, 'हर चीज इस बात पर निर्भर करेगी कि एफसीआई इस वर्ष निजी कारोबारियों के लिए कितना गेहूं छोड़ता है। अगर एफसीआई मंडियों में बड़ी खरीदारी करता है तो खुले बाजार में दाम जुलाई के बाद से चढ़ने शुरू हो जाएंगे।' बाजार के जानकारों का कहना है कि औसत गुणवत्ता के गेहूं और उच्च प्रोटीन वाली प्रीमियम किस्मों के बीच कीमत का अंतर भी इस वर्ष तीन रुपए प्रति किलोग्राम तक जा सकता है। अगर औसत गुणवत्ता के लिए उत्तर प्रदेश में कीमतों और प्रीमियम के लिए मध्य प्रदेश की शरबती किस्म को बेंचमार्क बनाया जाए तो यह अंतर और बढ़ सकता है। राशन की दुकानों में पर्याप्त आपूर्ति और किसी अप्रत्याशित मांग से निपटने के लिए एफसीआई द्वारा इस वर्ष गेहूं की आक्रामक खरीद करने की उम्मीद है। राशन की कम आपूर्ति की भरपाई के लिए एफसीआई द्वारा अप्रैल, 2009 से लेकर मार्च, 2010 तक राशन की दुकानों के जरिए 2.4 करोड़ टन गेहूं की बिक्री का अनुमान है। (ई टी हिन्दी)
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