02 12, 2010
रबी की बुआई के दौरान जौ के रकबे में इस साल 4.9 फीसदी की बढ़ोतरी आई है। पिछले साल जौ की बुआई 7.18 लाख हेक्टेयर में की गई थी जो इस साल बढ़कर 7.53 हेक्टेयर हो गया है।
हालांकि जौ उत्पादन में सबसे प्रमुख राज्य राजस्थान में इसके रकबे में पिछले साल के मुकाबले 9 फीसदी की गिरावट है। वर्ष 2008-09 के दौरान जौ का कुल उत्पादन 15.40 लाख टन था जबकि वर्ष 2007-08 के दौरान यह उत्पादन मात्र 12 लाख टन था। रकबे में बढ़ोतरी को देखते हुए इस साल जौ का उत्पादन 16 लाख टन तक रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
माना जा रहा है कि निर्यात मूल्य में आई कमी से राजस्थान के किसानों ने इसकी बुआई कम की है। जौ का 31 फीसदी उत्पादन राजस्थान में होता है। जौ उत्पादन के लिहाज राजस्थान दूसरे स्थान पर है और यहां 12-13 लाख टन जौ का उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश का जौ उत्पादन में पहला स्थान है और यहां देश के 38 फीसदी जौ का उत्पादन होता है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व बिहार में भी जौ का उत्पादन किया जाता है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में इस साल जौ के रकबे में पिछले साल के मुकाबले क्रमश: 26 व 16 फीसदी की बढ़ोतरी है। वर्ष 2005 के बाद भारत जौ उत्पादन में पूर्ण सक्षम है और अब इसका आयात नहीं किया जाता है।
पिछले साल जौ के उत्पादन में बढ़ोतरी के मुकाबले निर्यात मांग में कमी के कारण गत नवंबर माह में जौ की कीमतों में 1.34 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी। वर्ष 2008-09 के दौरान भारत ने 2 लाख टन जौ का निर्यात किया था। सिर्फ रबी फसल के दौरान उगाए जाने वाले जौ का इस्तेमाल खाद्यान्न के आलावा बियर निर्माण में किया जाता है।
वर्ष 2008-09 के दौरान भारत में कुल 14 लाख टन जौ की खपत हुई। पिछले साल माल्ट शराब के निर्यात में गिरावट के कारण राजस्थान के किसानों इस साल जौ के उत्पादन को लेकर निराश दिखे। (बीएस हिन्दी)
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