02 12, 2010
वर्ष 2009-10 के दौरान दालों का आयात वर्ष 2008-09 के मुकाबले दोगुना से थोड़ा ही कम रहा।
वर्ष 08-09 में कुल 23 लाख टन दालों का आयात किया गया था जबकि वर्ष 2009-10 के दौरान भारतीय दाल आयात संघ के मुताबिक यह आयात 40 लाख टन तक पहुंच सकता है। वर्ष 2009-10 में दालों का कुल उत्पादन 140-150 लाख टन तक रहने का अनुमान लगाया गया है।
देश में दाल की कुल खपत लगभग 180-190 लाख टन है। उत्पादन व उपभोग में इतना बड़ा अंतर होने के कारण इस साल दाल की कीमतों ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए। खुदरा बाजार में अरहर दाल 100 रुपये प्रति किलोग्राम, मूंग दाल 90 रुपये प्रति किलोग्राम, मसूर दाल 60 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई। दालों के भाव में आई जबरदस्त तेजी से रबी के दौरान दलहन के रकबे में बढ़ोतरी हुई है।
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक गत 5 फरवरी तक देश भर में कुल 137.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में दलहन की बुआई की गई थी जबकि पिछले साल यह रकबा कुल 129.55 लाख हेक्टेयर था। माना जा रहा है कि इस साल दलहन के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है।
खरीफ के दौरान दलहन के रकबे में 9.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी और खरीफ के दौरान दलहन के कुल उत्पादन में भी पिछले साल के मुकाबले लगभग 10 लाख टन की कमी दर्ज की गई। लगभग 70 फीसदी दलहन का उत्पादन रबी के दौरान किया जाता है। चना, अरहर, मसूर, मूंग व उड़द समेत लगभग सभी दलहन की खेती इस दौरान की जाती है।
वैसे मुख्य रूप से चना, मसूर व अरहर की खेती होती है। घरेलू दलहन उत्पादन में 20 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाला चना भी इस रबी में खूब लहलहा रहा है। पिछले साल के मुकाबले चने के रकबे में 5 लाख हेक्टेयर से अधिक की बढ़ोतरी है और माना जा रहा है कि इसका उत्पादन भी पिछले साल के मुकाबले कम से कम 10 फीसदी तक अधिक होगा।
भारत में चने का उत्पादन 50-60 लाख टन होता है। चने की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात में होती है। इस साल राजस्थान में चने की फसल पिछले साल के मुकाबले कम बतायी जा रही है। लेकिन इस कमी की पूर्ति मध्य प्रदेश में हो रही है जहां पिछले साल के मुकाबले चने की फसल काफी मजबूत स्थिति में है।
नए चने की आवक मार्च के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगी। अरहर की फसल इस बार बंपर बतायी जा रही है। महाराष्ट्र में इस साल पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी अधिक अरहर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। दलहन कारोबारी कहते हैं कि अरहर की बंपर फसल का ही असर है कि दाल की कीमतें थोक बाजार में 63-65 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ गई है।
मसूर दाल के रकबे में इस साल पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी बताई जा रही है। मसूर की आवक शुरू हो चुकी है और इसके उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान इसकी कीमत में आई गिरावट से लगाया जा सकता है। एक माह पहले तक मसूर दाल की थोक कीमत 55 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो कि 35 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर प र पहुंच गई है।
थोक कारोबारियों के मुताबिक मसूर दाल के भाव 30 रुपये प्रति किलो तक हो जाएंगे। मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में मसूर के रकबे में 15 फीसदी त की बढ़ोतरी दर्ज की गई। रबी के दौरान अन्य दाल मूंग, उड़द की स्थिति भी पिछले साल की तुलना में अच्छी दिख रही है।
दाल उत्पादकों के मुताबिक सरकार दाल की खेती को चावल व गेहूं के मुकाबले कम महत्व देती है। अभी हाल में सरकार ने माना था कि दलहन की खेती उपज के लिहाज से सीमांत जमीनों पर की जाती है। इस जमीन को सिंचाई की सुविधा शायद ही उपलब्ध होती है और दलहन की खेती करने वाले किसान अपेक्षाकृत गरीब होते हैं और वे खाद व सिंचाई का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं होते हैं। (बीएस हिन्दी)
13 फ़रवरी 2010
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