मुंबई February 09, 2010
रबी सीजन में अच्छी फसल और ज्यादा उत्पादन के दावों को कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़े झूठे साबित करने लगे हैं।
आंकड़ों में पिछले साल की अपेक्षा इस बार अनाज और तिलहन की हालत पतली दिखाई दे रही है, जबकि दलहन की फसल अभी भी मजबूत बताई जा रही है। बुआई रकबा कम होने से उत्पादन भी कम होने की उम्मीद है। हालांकि कीमतो पर इसका तुरंत असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगले तीन-चार महीनों के बाद अनाज और तिलहन की कीमतें दोबारा रंग दिखाना शुरू कर सकती हैं।
मानसून की बेरुखी के कारण खरीफ फसल के गड़बड़ाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि खरीफ की भरपाई रबी सीजन के दौरान हो जाएगी। शुरुआती आंकड़ों से इस उम्मीद को सहारा भी मिला। सरकारी और कई निजी संस्थाओं के आंकड़ों में साफतौर पर यह दिखाया गया कि रबी फसल के दौरान लगभग सभी फसलों का रकबा बढ़ा है।
मानसून और जलवायु सही होने के कारण फसल भी अच्छी है, लेकिन तमाम इस तरह के दावे अब झूठे साबित होने लगे हैं और धीरे धीरे लगने लगा है कि रबी फसल भी कुछ खास नहीं रहने वाली है।
कृषि मंत्रालय से चार फरवरी तक बुआई के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस सीजन में अभी तक कुल 62.99 लाख हेक्टेयर में अनाज की बुआई की गई है जबकि पिछले साल इस समय तक 67.01 लाख हेक्टेयर में अनाज की फसल खड़ी थी। यानी इस बार 5.98 लाख हेक्टेयर में अनाज फसलों की बुआई कम हुई है।
हालाकि रबी सीजन के दौरान बोए जाने वाले प्रमुख अनाज गेहूं के रकबे में अभी भी बढ़ोतरी दिखाई जा रही है। गेहूं की बुआई 277.58 लाख हेक्टयर क्षेत्रफल में हुई है, जबकि पिछले साल 275.87 लाख हेक्टेयर पर ही गेहूं की बुआई की जा सकी थी।
सरकरी आंकड़ों में अभी तक गेहूं का रकबा पिछले साल से 1.71 लाख हेक्टेयर ज्यादा दिखाया जा रहा है लेकिन जानकार कहते हैं कि मौजूदा हालात को देखते हुए अंतिम आंकड़ों में गेहूं का भी रकबा कम हो जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
तिलहन फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण रबी सीजन इस बार खराब साबित हो रहा है। तिलहन फसलों की बुआई पिछले साल की अपेक्षा करीबन 6 लाख हेक्टेयर पर कम हुई है। अभी तक 88.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही तिलहन फसलों की बुआई हो सकी है जबकि पिछले साल इस दौरान 94.59 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में तिलहन फसलों की बुआई की गई थी।
रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुआई 64.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की गई है जबकि इस समय तक पिछले साल 66.51 लाख हेक्टेयर पर सरसों के पीले फूल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे।
कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों में अगर कुछ सकून की बात है तो वह यह है कि दलहन की फसल अच्छी बताई जा रही है पिछले साल की अपेक्षा इस बार दलहन का रकबा ज्यादा दिखाया जा रहा है। दलहन की बुआई 137.35 लाख हेक्टेयर पर की गई है जबकि फरवरी 2009 में यह आंकड़ा 129.55 लाख हेक्टेयर का ही था।
एनसीडीईएक्स की अर्थशास्त्री श्रध्दा उमरजी के अनुसार इस साल अभी तक 1,541,389 टन वनस्पति तेल का आयात किया जा चुका जबकि पिछले साल 1,300,9005 टन वनस्पति तेल का आयात किया गया था। आयात शुल्क शू्न्य किये जाने और देश में उत्पादन कम होने से आयात पर निर्भरता बढ़ने वाली है। जिसका फर्क घरेलू खाद्य तेल उद्योग पर पड़ने वाला है।
कीमतों के बारे शेयर खान कमोडिटी के रिसर्च हेड मेहुल अग्रवाल कहते हैं कि रबी सीजन के दौरान बुआई रकबा कम होने की खबर हैरान कर देने वाली है, क्योंकि इसके पहले जितने भी आंकड़े जारी किये गए थे उनमें यह दिखाया गया था कि इस बार रबी फसल अच्छी है।
रकबा कम होने से स्वाभाविक है कि उत्पादन भी कम होगा जिसका असर कीमतों पर पड़ने ही वाला है लेकिन फिलहाल बाजार में आपूर्ति मांग से ज्यादा ही रहने वाली है। इसकी वजह से कीमतें बढ़ेगी नहीं बल्कि वर्तमान दर से और नीचे की तरफ जाएंगी। (बीएस हिन्दी)
11 फ़रवरी 2010
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