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11 फ़रवरी 2010

स्टॉक अवधि घटाने से बढ़ेंगे चीनी के उत्पादों के दाम

नई दिल्ली February 09, 2010
केंद्र सरकार ने चीनी की बड़े उपभोक्ताओं को स्टॉक सीमा 15 दिन से घटाकर 10 दिन करने का निर्देश जारी किया है।
इसका सीधा असर शीतल पेय बनाने वाली बड़ी कंपनियों जैसे कोका कोला और पेप्सी, ब्रिटानिया जैसी बिस्किट निर्माता कंपनियों और कैडबरी जैसी चॉकलेट बनाने वाली बड़ी कंपनियों सहित अन्य बड़ी कंपनियों पर पड़ने के आसार हैं।
सरकार ने यह अध्यादेश पिछले सप्ताह जारी किया था। सरकार के इस कदम से उपभोक्ता कंपनियों पर अपने उत्पाद के दाम बढाने के लिए दबाव पड़ सकता है। उन्हें अपनी जरूरतों के लिए चीनी का आयात करना पड़ सकता है, जिसकी कीमतें घरेलू भाव से ज्यादा है।
अपने स्टॉक को बनाए रखने के लिए, जो अब कम होता नजर आ रहा है, कंपनियों को ऐसा करना पड़ सकता है। अन्यथा उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। बाजार में चीनी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी और आम आदमी पर पड़ रहे बुरे प्रभाव के चलते सरकार ने पिछले साल अगस्त में एक अध्यादेश जारी कर बड़े उपभोक्ताओं को स्टॉक सीमा 15 दिन से ज्यादा न रखने का निर्देश दिया था।
इसके पहले बड़े उपभोक्ताओं में उन कंपनियों को शामिल किया गया था, जो 10 क्विंटल चीनी का प्रयोग कच्चे माल के रूप में करती हैं, वे इस जिंस का स्टॉक 30 दिन के लिए कर सकती थीं। ताजा अध्यादेश खाद्य, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 5 फरवरी को जारी किया है। यह 20 फरवरी 2010 से लागू होगा। यह नियम 6 महीने के लिए लाया गया है।
इस नियम से हल्दीराम की मिठाइयां, यूनीलीवर की आइसक्रीम के साथ अन्य उत्पाद प्रभावित होंगे। शीतल पेय निर्माताओं का कहना है कि इस कदम के बाद से उन्हें कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
एक सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'विनिर्माताओं को चीनी के आयात की जरूरत पड़ सकती है। इस खबर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी आएगी, जो इस समय भी अब तक के सर्वोच्च स्तर पर है। हमारे पास भी कीमतें बढ़ाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचेगा।'
इससे भी बुरी खबर यह है कि बड़े उपभोक्ताओं को घरेलू चीनी के प्रयोग पर सरकार प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है और उन्हें सिर्फ आयात पर निर्भर रहना पड़ेगा। खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस मसले पर कानून मंत्रालय विचार कर रहा है।
बड़े उपभोक्ता कुल चीनी उत्पादन का 65 प्रतिशत खपत करते हैं। विभाग और चीनी उद्योग से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक बड़े उपभोक्ता 150 लाख टन चीनी का उपभोग करते हैं, जिसमें मिठाइयों की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत, शीतल पेय की 30 प्रतिशत, आइसक्रीम की 10 प्रतिशत, चॉकलेट की 10 प्रतिशत और बिस्किट की 5 प्रतिशत है।
थोक मूल्य सूचकांक में चीनी की हिस्सेदारी 3।72 प्रतिशत है। 2009-10 में चीनी उत्पादन में कमी के चलते कीमतों में तेजी आ रही है, जो महत 160 लाख टन रहने की उम्मीद है। वहीं सालाना खपत 230 लाख टन है। (बीएस हिन्दी)

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