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09 फ़रवरी 2010

बंद हो रही उप्र में पेराई

नई दिल्ली February 08, 2010
गन्ने की कम पैदावार और गुड़ उत्पादन इकाइयों को गन्ने की अपेक्षाकृत ज्यादा आपूर्ति की वजह से इस बार उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने जल्द ही पेराई का काम बंद करना शुरू कर दिया है।
देश की सबसे बड़ी चीनी उत्पादक कंपनी बजाज हिंदुस्तान ने अपने दो मिलों में पेराई का काम अब रोक दिया है। कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक प्रतापपुर और रुधौली स्थित बजाज मिलों में पिछले हफ्ते पेराई बंद कर दी गईं। दोनों ही इकाइयों में पिछले साल की तुलना में कम पेराई का काम हुआ है। प्रतापपुर में इस बार पेराई पिछले साल की तुलना में 19 फीसदी कम रही है।
वहीं, रुधौली में इस बार 13 फीसदी कम पेराई हुई है। उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ के अध्यक्ष सी बी पटौदिया के मुताबिक बिड़ला शुगर अपनी हाटा मिल में पेराई का काम बुधवार को बंद करने जा रही है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है। बजाज हिन्दुस्तान, बलरामपुर चीनी और त्रिवेणी इंजीनियरिंग जैसी तमाम बड़ी कंपनियां उत्तर प्रदेश में ही हैं।
पटौदिया ने कहा कि इस महीने के अंत तक कई चीनी मिलों में काम बंद हो जाएगा। चीनी मिलों में गन्ने की आवक काफी कम है और मिलें क्षमता से 60-70 फीसदी परिचालन कर रही हैं। डीसीएम श्रीराम कंसोलिडेटेड लिमिटेड के निदेशक अजित श्रीराम ने बताया कि 15 फरवरी के बाद से कंपनी की मिलों में पेराई बंद करने का काम शुरू हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश में कंपनी की चार मिलें चलती हैं। श्रीराम ने कहा, 'गुड़ उत्पादन के काम में ज्यादा गन्ना जाने से इस बार हमें जबरदस्त किल्लत झेलनी पड़ी। हमारी हरियाणा इकाई अपनी क्षमता की तुलना में महज 30 फीसदी पर परिचालन कर रही है।'
औद्योगिक अनुमानों के मुताबिक इस साल राज्य में चीनी का उत्पादन 40 लाख टन रहने का अनुमान है। पिछले साल 40.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। गन्ने की किल्लत की वजह से राज्य में मिलें किसानों को गन्ने के लिए 260-265 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमतें चुका रही हैं। राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) 165 रुपये निर्धारित है।
गुड़ उत्पादक इकाइयों से मिल रही कडी प्रतिस्पद्र्धा की वजह से मिलों को कई बार गन्ने की कीमतों में इजाफा करना पड़ा। हालांकि गुड़ के भाव में 10 फीसदी की ताजा गिरावट देखने को मिली है। गुड़ की कीमत 2,600 रुपये क्विंटल पर पहुंच गई है। इससे इस ओर गन्ने की आपूर्ति में कुछ कमी आ सकती है जिसका फायदा चीनी मिलों को होगा। (बीएस हिन्दी)

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