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09 फ़रवरी 2010

इस साल बढ़ेगी सरसों की उत्पादकता

मुंबई February 08, 2010
भारत में सरसों (रैपसीड) के सालाना उत्पादन में 2010 के दौरान 4.8 प्रतिशत की कमी आ सकती है। वहीं सरसों की उत्पादकता इस साल बढ़ोतरी का अनुमान है।
भारत में 2010 के दौरान 59 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि 2009 में कुल 62 लाख टन उत्पादन हुआ था। बारिश की कमी की वजह से इस साल सरसों की बुआई के क्षेत्रफल में कमी आई है। इसके प्रमुख उत्पादक राज्य, राजस्थान में मिट्टी में नमी कम होने की वजह से बुआई में देरी हुई।
सरसों उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी भारत में होने वाले कुल उत्पादन की आधी है। पिछले सप्ताह के कृषि मंत्रालय के एक वक्तव्य में कहा गया है कि भारत के किसानों ने 1 अक्टूबर से 4 फरवरी के बीच कुल 64 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुआई की है, जो पिछले साल के 66 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3 प्रतिशत कम है।
सरसों, जाड़े के मौसम में बोई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी बुआई सितंबर में शुरू होती है और फसल मार्च और उसके बाद तैयार होती है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन की सरसों उत्पादन अनुमान समिति की एक बैठक के बाद एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि बुआई वाले इलाकों में फसलों की स्थिति बेहतर है, साथ ही मौसम भी अनुकूल है।
मेहता ने कहा कि राजस्थान में सरसों का उत्पादन 10 प्रतिशत गिरकर 27 लाख टन रह सकता है, जो पिछले साल 30 लाख टन था। हालांकि राजस्थान में बुआई के क्षेत्रफल में आई कमी की भरपाई बेहतर उत्पादकता से होने की उम्मीद है। इस साल अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रति हेक्टेयर उत्पादन में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
मेहता ने कहा कि पिछले साल प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1030 किलो था, जो इस साल 1161 किलो रहने का अनुमान है। मेहता ने कहा कि तिलहन के उत्पादन में कमी और बढ़ती मांग को देखते हुए निर्यात पर निर्भरता बढेग़ी। 2010 में कुल आयात कम से कम 9.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
सरसों की स्थिति
2008-09 2009-10 % बदलावफसल क्षेत्र. (लाख हे.) 66.47 64.36 3.17उत्पादकता (किलोहे.) 900 920 2.22फसल (लाख टन) 62 59.20 4.९२ (बीएस हिन्दी)

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