नई दिल्ली February 12, 2010
केंद्र सरकार ने आखिरकार उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को बंदरगाहों पर पड़ी आयातित कच्ची चीनी बेचने की अनुमति दे दी है।
सरकार की इस अनुमति के बाद बाजार में करीब 6,50,000 टन चीनी की आपूर्ति हो सकेगी। इससे बजाज हिंदुस्तान समेत कच्ची चीनी का आयात करने वाली चीनी मिलों को काफी फायदा होगा। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की चीनी मिलों में आयातित कच्ची चीनी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इस कदम से जहां अतिरिक्त चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी वहीं इन कंपनियों को भी इसकी बिक्री पर अच्छा मार्जिन मिलेगा। इन कंपनियों ने इस चीनी का आयात 520-550 डॉलर प्रति टन के दाम पर किया था। जबकि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्ची चीनी का दाम 680-690 डॉलर प्रति टन चल रहा है।
पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को गन्ने के अच्छे दाम दिलाने के लिए राज्य में कच्ची चीनी के आयात पर रोक लगा दी थी। इस कारण चीनी के दाम बढ़ गए और उत्तर प्रदेश में तो यह 4300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। हालांकि अब दाम घटकर 3800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं।
कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने उत्तर प्रदेश सरकार से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था, लेकिन वह सफल नहीं हुए। इस कारण केंद्र सरकार को जनवरी में उत्पाद नियामकों में ढील देकर राज्य की चीनी मिलों को आयातित कच्ची चीनी बाकी राज्यों में प्रसंस्कृत कराने की अनुमति देनी पड़ी थी। हालांकि इस कदम का कोई खास फायदा नहीं हुआ क्योंकि राज्य की कुछ मिलें आयातित चीनी बेचकर अधिक लाभ कमाना चाहती थीं।
केंद्र सरकार ने देश में चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कच्ची चीनी के आयात पर से शुल्क हटा लिया था। फिलहाल बाजार में चीनी 43-44 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मिल रही है। देश में करीब 2।3 करोड़ टन चीनी की सालाना खपत होती है। उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन मामले में देश में दूसरे स्थान पर है। (बीएस हिन्दी)
12 फ़रवरी 2010
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