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15 फ़रवरी 2010

एशिया का सबसे बड़ा हीरा बाजार बनाने का सपना अब तक अधूरा

मुंबई February 15, 2010
दक्षिण मुंबई के पंचरतन से हीरा बाजार को बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के भारत डायमंड बोर्स लाने का सपना 15 सालों से भी ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी सपना ही है।
एशिया के सबसे बड़े डायमंड बोर्स, भारत डायमंड बोर्स (बीडीबी) की 18 साल पुरानी परियोजना अधर में लटकी है। परियोजना पर अंतिम निर्णय बीडीबी के सदस्यों और मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) के बीच मतभेद की वजह से लटका हुआ है।
बीडीबी को सभी आधारभूत सुविधाओं और आधुनिक साधनों वाले हीरा बाजार के तौर पर विकसित किया जाना था। 600 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ 1992 में परियोजना की शुरुआत की गई थी। पर, 1995-99 के दौरान बीडीबी समिति, आर्किटेक्टों और ठेकेदारों के बीच मतभेद और भुगतान में चूक की वजह से 1998 में परियोजना को रोक दिया गया। इसे 2001 में एक बार फिर शुरू किया गया।
600 रुपये करोड़ की अनुमानित लागत के अतिरिक्त 350 करोड़ रुपये की राशि इस परियोजना में लगाई जा चुकी है। परियोजना में देरी का मतलब और ज्यादा लागत है। सूत्रों के मुताबिक बोर्स के 2427 सदस्य छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ रहे हैं। कई लोगों को उस जगह मौजूद खम्भों से समस्या है तो कई लोग आस-पास के ऑफिसों की तरह खिड़कियां चाहते हैं।
कई सदस्यों में अभी तक बढ़ी लागतों के हिसाब से भुगतान नहीं किए हैं। हालांकि बोर्स के अध्यक्ष अनूप मेहता दावा करते हैं कि ज्यादातर सदस्यों ने अपने बकायों का भुगतान कर दिया है। भुगतान में देरी के लिए उन्होंने ब्याज भी चुकाया है।
बोर्स के उपाध्यक्ष सतीशचंद्र शाह ने कहा, 'हमें व्यवसाय प्रमाण (ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेशन) मिल चुका है। हमने ड्राफ्ट लीज डीड के लिए भी एमएमआरडीए के पास आवेदन कर दिया है जो हमें कुछ हफ्तों में मिल जाने की उम्मीद है। हम 1 अप्रैल से बोर्स में काम चालू करने के लिए तैयार हैं।'
शाह की बातों से अलग बोर्स के एक सदस्य का कहना है, 'हम बोर्स और एमएमआरडीए के मसौदे में संशोधन चाहते हैं। शुरुआत में हम सिर्फ एक निर्यात इकाई बना रहे थे और अब इसका विस्तार पूरे आभूषण बाजार तक किया जा रहा है।' अगर ऐसा है, तो परियोजना के शुरु होने में अभी और वक्त लगेगा।
एमएमआरडीए के पास मसौदे में संसोधन के लिए जो प्रस्ताव भेजा गया है वह अभी भी रुका हुआ है क्योंकि मसौदे में बदलाव के लिए एमएमआरडीए को कई मंत्रालयों से अनुमति की जरूरत है। कुल 18 लाख वर्ग फीट क्षेत्रफल में से 14 लाख वर्ग फीट का आवंटन पहले ही हो चुका है।
कुछ हिस्सा सामान्य उपभोग के लिए रखा गया है, जिसकी बिक्री नहीं की जाएगी। इसमें ट्रेडिंग फ्लोर, कस्टम्स एरिया, कान्फ्रेंस हाल और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। कुल 20 लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल के 8 टावर मूल रूप से प्रस्तावित थे, जिसमें सदस्यों की जरूरतों के मुताबिक ट्रेडिंग हाल की व्यवस्था भी थी।
कस्टम्स एरिया करीब 20 हजार वर्ग फीट का है। सदस्यों को पहले ही शेयर सर्टिफिकेट आवंटित कर दिया गया है, जो 300 वर्ग फीट से 15,000 वर्ग फीट तक है। शाह के मुताबिक जैसा कि सदस्य चाहते थे, उस हिसाब से हमने दिया। हालांकि एक ही बिजनेस क्लास के ज्यादा इकट्ठा हो जाने से विवाद बना है, लेकिन शाह ने कहा कि मूल बात यह है कि यह परियोजना तैयार है। (बीएस हिन्दी)

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