मुंबई February 08, 2010
यूरोप में बड़े पैमाने पर इस तरह की रिपोर्ट सामने आ रही हैं जिनमें कहा जा रहा है कि भारत में उत्पादित जैविक कपास, जीएम (जेनेटिकली मोडिफाइड) तत्वों से प्रदूषित है।
इससे देश के जैविक कपास निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। हाल ही में तुर्की को पछाड़ते हुए भारत, दुनिया में जैविक कपास का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। यहां के सूत और कपड़े का इस्तेमाल यूरोप के बड़े गारमेंट ब्रांड करते हैं।
फाइनेंशियल टाइम्स के जर्मन प्रकाशन में कुछ हफ्तों पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इसमें खुलासा किया गया था कि यूरोप के प्रमुख खुदरा बिक्रेताओं एचऐंडएम, सीऐंडए और टीचीबो द्वारा जैविक कपास के नाम पर जो कपास बेचा जा रहा है, असल में जीएम प्रभावित है।
इसमें कहा गया है कि इस कपास का मुख्य स्त्रोत भारत है। जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑर्गेनिक एक्सचेंज के मुताबिक, 2008-09 में विश्व स्तर पर कुल 1,75,113 टन जैविक कपास का उत्पादन हुआ था। इसमें भारत की हिस्सेदारी करीब 65 फीसदी थी।
फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट में ब्रेमरहेवन के एक स्वतंत्र प्रयोगशाला इम्पेटस के निदेशक लोथर क्रूस के हवाले से लिखा गया है कि करीब 30 फीसदी नमूने जीएम कपास से प्रभावित पाए गए हैं।
दिलचस्प है कि रिपोर्ट में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात एवं विकास प्राधिकरण (एपीडा) के निदेशक संजय दवे की बात भी छापी गई है। एपीडी भारत में जैविक उत्पादों के निर्यात की केंद्रीय एजेंसी है। रिपोर्ट के मुताबिक दवे का कहना है, 'यह घोटाला बड़े पैमाने पर किया गया और यूरोप की दो प्रमाणिक एजेंसियों पर पूरी प्रक्रिया में ढील दिखाने के लिए भारी जुर्माना लगाया गया।'
इसके बाद से यूरोप के बड़े वस्त्र व्यापार जर्नलों में धड़ल्ले से इस तरह की खबरें छाप रही हैं कि भारत से जीएम प्रभावित जैविक कपास का निर्यात किया जा रहा है। इससे भारत के जैविक उत्पादों के निर्यात पर खासा असर हो रहा है। भारत के निर्यातित जैविक उत्पादों में जैविक कपास की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है।
जब बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस बारे में दवे से बात की तो उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया है। 2008 में जीएम प्रदूषण का ऐसा मामला सामने आया था जिसे पिछले साल निपटा दिया गया।
उन्होंने कहा, 'इसके बाद से हम कड़े मानदंड अपना रहे हैं। इस मामले में ढीले रुख की वजह से यूरोपीय एजेंसियों कंट्रोल यूनियन सर्टिफिकेशन पर 15 लाख रुपये और इकोसर्ट पर 7.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। हमें आश्चर्य है कि यह मामला फिर से क्यों उठ हो रहा है।'
घट सकता है कारोबार
यूरोप की रिपोर्टों के मुताबिक भारत में उत्पादित जैविक कपास में बीटी के अंश विश्व के कुल जैविक कपास उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत हैकरीब 30 प्रतिशत नमूने जीएम कपास से प्रभावित पाए गए हैं (बीस हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें