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10 मार्च 2010

गेहूं-चावल का भंडार लक्ष्य से दोगुना

नई दिल्ली : देश में गेहूं और चावल का भंडार 1 मार्च को तय लक्ष्य से दोगुने से भी अधिक था। सरकारी सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। इससे यह संकेत मिल रहा है कि देश अनाज के निर्यात करने की स्थिति में है और इसकी खुले बाजार में बिक्री भी की जा सकती है। गेहूं के भंडार का लक्ष्य 82 लाख टन था और यह 1 मार्च को 1।84 करोड़ टन पर पहुंच गया। चावल का भंडार 2.69 करोड़ टन था जबकि इसके लिए 1.18 करोड़ टन का लक्ष्य रखा गया था। भंडार जरूरत से बहुत अधिक बढ़ने और 2010 में लगातार चौथे वर्ष गेहूं की बंपर फसल होने की उम्मीद की वजह से इसके भंडारण में समस्या हो सकती है। कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले सप्ताह कहा था कि वित्त मंत्री प्रणव मुखजीर् की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक पैनल गेहूं और चावल की सामान्य किस्मों के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने के लिए इस सप्ताह बैठक करेगा। एनालिस्टों का कहना है कि 10 मार्च से नई फसल की बुआई की शुरुआत को देखते हुए भारत को गेहूं की अधिक मात्रा का निर्यात करना चाहिए। इससे पहले सरकारी कंपिनयों को श्रीलंका और नेपाल को गेहूं और चावल की सामान्य किस्मों के कम मात्रा में निर्यात की अनुमति दी गई थी। भारत गेहूं और चावल का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। सरकार अपनी बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं चलाने के लिए घरेलू किसानों से अनाज खरीदती है। यह खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाती है। सरकार ने जनवरी और फरवरी 2010 में राशन कार्डधारक अत्यधिक गरीब परिवारों और बीपीएल-एपीएल परिवारों को हर महीने 10 किलोग्राम अतिरिक्त गेहूं या चावल देने की भी घोषणा की है। यह कदम उन्हें अनाज की महंगाई से बचाने के लिए उठाया गया है। अनाज का यह कोटा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मौजूदा आवंटन के अतिरिक्त है। यह स्कीम इस साल 31 मार्च तक है। (ई टी हिंदी)

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