नई दिल्ली March 12, 2010
सोयाबीन की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 10-12 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है।
सोयाबीन के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों को पिछले साल के मुकाबले कम कीमत मिल रही है। माना जा रहा है कि ब्राजील एवं अर्जेंटीना में सोयाबीन की फसल अपेक्षाकृत अधिक होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन के भाव कमजोर चल रहे हैं। और इसका असर घरेलू बाजार पर देखा जा रहा है।
दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के मुताबिक वर्ष 2009-10 के दौरान भारत में 97 लाख टन सोयाबीन उत्पादन का अनुमान है। वर्ष 2008-09 के दौरान सोयाबीन का घरेलू उत्पादन कुल 93 लाख टन रहा। इस लिहाज से घरेलू उत्पादन भी इस साल 4 लाख टन अधिक है और पिछले साल का सोयाबीन स्टॉक भी भरपूर मात्रा में बचा है।
सोयाबीन की घरेलू औसत कीमत इन दिनों 1980 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान यह कीमत 2215 रुपये प्रति क्विंटल थी। इंदौर मंडी में सोयाबीन 2050 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है।
वायदा बाजार में भी आगामी महीनों के लिए सोयाबीन की बोली कम कीमतों पर लगाई जा रही है। मध्य प्रदेश में इन दिनों पिछले साल के मुकाबले सोयाबीन की कीमतों में 11 फीसदी, गुजरात में 17 फीसदी, राजस्थान में 12 फीसदी एवं कर्नाटक में 13 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
सोपा प्रवक्ता राजेश अग्रवाल कहते हैं, 'सोयाबीन के मामले में अभी पूरे अंतरराष्ट्रीय बाजार में सुस्ती का रुख है। दक्षिण अमेरिका में सोयाबीन की फसल तैयार है और 25 फीसदी तक इसकी आवक भी बाजार में शुरू हो गई है। अब वहां की फसलों की पूरी तस्वीर साफ होने पर ही आगे के अनुमानों के बारे में बताया जा सकता है।'
दूसरी तरफ कमजोर कीमत को देखते हुए इंदौर मंडी में किसान सोयाबीन की आपूर्ति पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी तक कम कर रहे है। सोयाबीन जानकारों का यह भी कहना है कि आवक कम होने से हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में सोयाबीन में कुछ मजबूती आए। मध्य प्रदेश में गुरुवार को सोयाबीन की अधिकतम कीमत 1980 रुपये प्रति क्विंटल रही वहीं गुजरात में भी यह कीमत 1950 रुपये प्रति क्विंटल बताई गई।
अच्छी फसल ने घटाईं कीमतें
ब्राजील और अर्जेंटीना में बढ़िया फसल से विदेशी बाजार में कीमतें हुईं कम गुजरात में 11 फीसदी, राजस्थान में 12 फीसदी और कर्नाटक में 13 फीसदी तक घटी कीमतेंपिछले साल 93 लाख टन के मुकाबले इस साल घरेलू उत्पादन 97 लाख टन रहने का अनुमान (बीएस हिंदी)
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