मुंबई March 30, 2010
स्टॉक सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद और किसानों की बाजार से दूरी के चलते पिछले एक सप्ताह के अंदर चना 10 फीसदी से भी ज्यादा महंगा हो चुका है।
चने के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में इस बार उत्पादन कम होने की खबरों ने भी कीमतों को हवा देनी शुरू कर दी है। हालांकि सरकारी आंकड़ों में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार देश में पिछले साल की अपेक्षा चने का उत्पादन ज्यादा होने वाला है।
नवंबर महीने के अंत में चने का भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था। इसके बाद चने के दाम गिरने शुरू हुए और 25 मार्च तक 2133 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए, लेकिन इसके बाद चने की कीमतों में दोबारा मजबूती का दौर शुरू हो गया और चार दिनों के अंदर चने के भाव करीब 10 फीसदी उछलकर फिलहाल 2350 रुपये प्रति क्ंविटल के आस पास चल रहे हैं।
चने के भाव में तेजी से आ रही मजबूती की वजह कारोबारियों की स्टॉक सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद को माना जा रहा है। ऐंजेल ब्रोकिंग में कमोडिटी हेड अमर सिंह के अनुसार चने के दाम बढ़ने की वजह बाजार में फैली तीन प्रमुख बातें हैं। पहला, राजस्थान जो देश का सबसे बड़ा चना उत्पादक राज्य है वहां इस बार चने की पैदावार कम होने की खबरें आ रही है।
दूसरा, कारोबारियों ने सरकार के ऊपर जो दबाव बनाया है उससे लगता है कि सरकार जल्द ही चने की स्टॉक सीमा बढ़ा या फिर खत्म कर सकती है जिससे कारोबारियों के बीच खरीदारी का उत्साह दिखाई देने लगा है और तीसरी बात यह है कि एक महीने पहले महंगाई को लेकर सरकार जितनी सख्त दिख रही थी उसमें अब नरमी दिखाई दे रही है जिससे स्टॉकिस्ट फिर से सक्रिय होने लगे हैं।
लेकिन सिंह का मानना है कि यह तेजी ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रह सकती है, क्योंकि इस बार देश में चने की पैदावार अधिक होने की बात कही जा रही है। अगर एक प्रदेश में फसल थोड़ी कमजोर भी रहती है, तो उसका बाजार में ज्यादा दिन तक असर नहीं रहने वाला है।
हालांकि अभी भी देश की ज्यादातर मंडियों में चने की आवक पिछले साल की अपेक्षा करीब 20-25 फीसदी कम है। कारोबारी आवक कम होने की वजह हाल ही में चने की कीमतों में भारी गिरावट को मान रहे हैं।
एपीएमसी के चना कारोबारियों का कहना है कि दो महीने पहले चना 2800 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बिक रहा था, लेकिन महंगाई के खिलाफ सरकार की सख्ती और इस बार उत्पादन ज्यादा होने की खबर से चने के भाव गिरकर 2100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे।
इस दर पर चने की बिक्री करना किसानों और स्टॉकिस्टों को घाटे का सौदा लग रहा है जिसके कारण वह फिलहाल बाजार से दूर ही रहना चाहते हैं क्योंकि उनको पता है कि अगले दो महीनों में चना 2400 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास बिकना शुरू हो जाएगा।
इसके अलावा सरकार की तरफ से तय की गई स्टॉक सीमा के कारण कारोबारी भी चने की खरीद में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे थे, क्योंकि उनके पास पहले ही चने का स्टॉक जमा हुआ है। लेकिन अब माहौल बदलता दिखाई दे रहा है और यही वजह है कि चने के दाम ऊपर जाना शुरू हो गए हैं।
चार दिनों के अंदर चने की कीमतों में 10 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी की एक प्रमुख वजह किसानों की बाजार से दूरी को भी माना जा रहा है। शेअरखान कमोडिटी हेड मेहुल अग्रवाल के अनुसार किसानों का माल पिछले साल की अपेक्षा बाजार में कम आ रहा है, क्योंकि इस बार फसल करीब 15 से 20 दिन देरी से तैयार हुई है जिसके चलते अभी ज्यादातर किसानों का माल खेत-खालिहान में ही पड़ा हुआ है।
दूसरी बात दाम कम होने के कारण किसान इस भाव पर अपनी फसल बेचना नहीं चाह रहे हैं, जिससे वह बाजार में उतना ही माल लेकर आ रहे हैं जितने में उनका काम चल जा रहा है। स्टॉक सीमा खत्म करने की सुगबुगाहट मात्र से ही कारोबारी खरीदारी करने में तेजी दिखाने लगे हैं।
भाव में उतार-चढ़ाव का रुख
नवंबर में 3,000 रुपये क्विंटल तक चढ़ा भाव मार्च की शुरुआत में 2133 रुपये तक गिरा थाभाव दोबारा मजबूत होकर 2350 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचे मंडियों में आवक पिछले साल के मुकाबले 20-25 फीसदी कम (बीएस हिंदी)
31 मार्च 2010
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