26 मार्च 2010
कृषि उत्पादन के लिए बेहतर तैयारी
नई दिल्ली : साल 2010-11 में कृषि उत्पादन में भारी बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के लिए सरकार कोई भी कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहती है। शुरुआती संकेत बता रहे हैं कि साल 2010 में सूखे जैसे हालात नहीं पैदा होंगे। हालांकि सरकार ने सभी तरह के मानसून हालात में खरीफ फसलों का अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत केंद्र ने राज्य सरकारों से बारिश से जुड़ी मुश्किलों से मुकाबला करने के लिए आपातकालीन योजना तैयार करने को कहा है। यहां दो दिनों तक चले खरीफ सम्मेलन में इससे जुड़ी अहम चिंताओं पर विचार किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वोत्तर राज्यों में जल संरक्षण के हालात काफी खराब हैं और ऐसे में इन राज्यों को ज्यादा सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। इन राज्यों से सिंचाई और बाकी उद्देश्यों के लिए पानी के इस्तेमाल में काफी सावधानी बरतने को कहा गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा कृषि आंकड़ों के मामले पर खास तवज्जो की उम्मीद है। इसका मकसद प्रमुख फसलों के उत्पादन अनुमानों में होने वाली गड़बड़ी को रोकना और जिला और राज्य स्तर पर उत्पादन आंकड़ों को दुरुस्त करना है। सम्मेलन में कृषि मंत्री शरद पवार ने बताया कि पिछले खरीफ सीजन में आए जबरदस्त सूखे की वजह से अनाजों के उत्पादन और बढ़ोतरी के लक्ष्य को पाने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके मुताबिक, हालांकि खरीफ फसलों के नुकसान को कम कर और रबी फसलों की जल्दी बुआई के लिए मदद मुहैया कराकर इस संकट से निपटने की यथासंभव कोशिश की गई। साल 2009-10 में फसलों के उत्पादन संबंधी अनुमानों (खासकर शुगर) के बारे में सही वक्त पर जानकारी मुहैया नहीं कराए जाने के लिए उन्होंने राज्य सरकारों को दोषी ठहराते हुए कहा कि इस वजह से ऊंचे उत्पादन के गलत आंकड़े आए, जिसके परिणामस्वरूप चीनी की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला। पवार के मुताबिक, आगामी कृषि वर्ष में 4 फीसदी कृषि विकास दर हासिल करने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं और इसके जरिए साल 2009-10 में कृषि उत्पादन में हुई गिरावट की क्षतिपूर्ति करने का प्रयास किया जाएगा। संकेत मिल रहे हैं कि अल नीनो का प्रभाव विकसित हो रहा है और इसके बाद के साल में सामान्यतया सामान्य बारिश होती है। फार्म सचिव पी के बसु ने इस सम्मेलन में किसानों को उचित वक्त पर खाद उपलब्ध कराने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगले खरीफ सीजन के दौरान उत्पादन बढ़ाने में इसकी भूमिका काफी अहम होगी। बसु ने राज्य सरकारों से न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी पॉलिसी को लागू करने के लिए सभी एहतियाती उपाय करने का अनुरोध किया। न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी पॉलिसी 1 अप्रैल 2010 से लागू होने वाली है। सम्मेलन में मौजूद विशेषज्ञों ने नकली कीटनाशकों के प्रयोग और मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं की संख्या में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं होने पर खासी चिंता जताई। (ई टी हिंदी)
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