15 मार्च 2010
घाटे में दाल आयात करने वाली कंपनियां
नई दिल्ली : घरेलू बाजार में दाल की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियां दाल का आयात करती हैं। दिसंबर 2009 तक पिछले तीन सालों में चार में से केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को ही मुनाफे में मोर्चे पर राहत मिली है। जबकि दो कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ा है। हाल ही में सरकार म्यांमार के साथ दाल आयात सौदा करने में नाकाम रही। दाल आयात के मोर्चे पर सार्वजनिक कंपनियों को हो रहे नुकसान पर सरकार अब ज्यादा सतर्क हो गई है और लंबी अवधि में मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने का हल तलाशने में जुटी है। पिछले तीन सालों में केवल एमएमटीसी और एसटीसी ने ही क्रमश: 25.53 करोड़ रुपए और 17.20 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। नेफेड और पीईसी को नुकसान उठाना पड़ा। इन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने इस अवधि में कुल 27.15 लाख टन दाल का आयात किया। इसमें से 22.86 लाख टन दाल की घरेलू बाजार में बिक्री की गई। मुनाफे में रहने वाली पीएसयू एसटीसी को भी साल 2008-09 में दाल आयात में घाटा उठाना पड़ा। आईएफपीआरआई के डायरेक्टर (दक्षिण एशिया) अशोक गुलाटी ने बताया, 'इस समस्या से निजात पाने के लिए हम लंबी अवधि वाले हल के बारे में सोच रहे हैं। हमारी योजना यह है कि हम तंजानिया या दूसरे दाल उत्पादक देशों के साथ कुछ ऐसा समझौता करें कि वे अपने यहां भारतीय बाजार के लिए दाल पैदा करें। इन देशों के पास जमीन और संसाधनों की कोई कमी नहीं है जबकि हमारे पास एक बड़ा बाजार है।' हालांकि, केंद सरकार ने अपने हालिया बजट में दाल और ऑयल सीड उत्पादन से जुड़े गांवों को कारोबारी लिहाज से जोड़ने का फैसला किया है। सरकार ने इस योजना पर 300 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान रखा है। जानकारों का कहना है कि सरकार का यह प्रयास इस समस्या को निपटाने के लिए नाकाफी है। इस सेक्टर के कामकाज पर नजर रखने वाली एक संस्था ने बताया, 'सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को नियमित रूप से दाल का आयात और इसका स्टोरेज करते रहना चाहिए ताकि वैश्विक बाजार की कीमतों पर हमारी पकड़ बन सके। साथ ही घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखने के लिए नियमित अंतराल पर दालों का वितरण किया जाए।' ऐसा देखने में आया है कि जब इस बात के संकेत मिलते है कि पीएसयू कंपनियां सरकार की तरफ से दालों की खरीद करने वाली हैं तो वैश्विक बाजार में इसके दाम बढ़ जाते हैं। दुनिया के सबसे बड़े दाल उत्पादक और उपभोक्ता भारत में सालाना 140 लाख टन दाल की पैदावार होती है। घरेलू बाजार में हर साल 180-190 लाख टन दाल की खपत होती है। मांग और आपूर्ति के इस अंतर को आयात से पाटा जाता है। एसोचैम की पल्स स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है, 'कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग या लीज एकड़ के आधार पर भारत के लिए दाल उत्पादन करने के क्षेत्र में काफी अवसर हैं। हालांकि भारत में यील्ड को बढ़ावा देने से बेहतर है कि भारत में ही हाई यील्ड वाली दाल को लाकर घरेलू उत्पादन पर जोर दिया जाए।' इस साल सार्वजनिक और निजी सेक्टर द्वारा करीब 40 लाख टन दाल का आयात किया जाएगा। घरेलू जरूरतों के लिए म्यांमार, अफ्रीका (तंजानिया और दूसरे देश), ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा से दालों का आयात होगा। (Eइ टी हिंदी)
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