मुंबई March 27, 2010
खाद्य पदार्थो की महंगाई के चलते नवंबर-दिसंबर में आम लोगों की थाली से दाल गायब हो चुकी थी।
कुछ सरकारी प्रयासों और नई फसल के बेहतरीन आगाज से दालों की कीमतें गिरना शुरू हो गई थी जिससे लग रहा था कि दाल एक बार फिर से आम आदमी के खाने में शामिल हो जाएगी।
दलहन की प्रमुख फसल अरहर और चने का अच्छा उत्पादन होने के बावजूद पिछले 15 दिनों के अंदर लगभग सभी दालों की कीमतें 10 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ चुकी है। जबकि खुदरा बाजार में लगभग सभी दालों की कीमतों में प्रति किलोग्राम 10 से 15 रुपये का इजाफा हो चुका है।
अरहर, चना, मसूर, उड़द, मटर दाल की थोक कीमतों में पिछले 15 दिन में करीबन 10 से 15 फीसदी उछाल दर्ज की जा चुकी है जबकि खुदरा बाजार में प्रति किलोग्राम 10 से 20 रुपये तक की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिससे महंगाई की मार से राहत की आस लगाए बैठा आम इंसान दोबारा महंगाई के मकड़ जाल में फंसने लगा है।
पिछले साल दाल की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी अरहर (तुअर) दाल में हुई थी। नवंबर महीने में थोक बाजार में अरहर दाल 6200 रुपये प्रति क्विंटल और खुदरा बाजार में 100 रुपये प्रति किलोग्राम के आस-पास बिक रही थी। लेकिन थोक बाजार में अरहर दाल की कीमतें फरवरी महीने में गिरकर 3500 रुपये क्विंटल और खुदरा बाजार में 52 रुपये किलोग्राम तक पहुंच गई थी।
बाजार में नई फसल की आवक शुरू होने और इस बार उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा होने की खबर से उम्मीद की जा रही थी कि मार्च-अप्रैल में अरहर दाल की कीमतों में और गिरावट देखने को मिलेगी, लेकिन हुआ ठीक उसका उल्टा। अरहर दाल की कीमतें एक बार फिर से ऊपर की ओर जाना शुरू हो गई हैं।
एक मार्च को थोक बाजार में 3500 रुपये क्विंटल बिकने वाली अरहर दाल इस समय 4500 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रही है, जबकि खुदरा बाजार में 55 रुपये किलो तक पहुंचने के बाद अरहर दाल इस समय 70 रुपये प्रति किलोग्राम पर भी मिलना मुश्किल हो गई है।
दाल की कीमतें सिर्फ अरहर दाल की नहीं बढ़ी है बल्कि सभी दालों में महंगाई ने दोबारा छौंक लगाना शुरू कर दिया है। रबी सीजन की दूसरी सबसे प्रमुख दलहन फसल चना का उत्पादन इस बार पिछले साल से बेहतर बताया जा रहा है इसके बावजूद चना दाल की कीमतों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है।
थोक बाजार में चना नवंबर में 2600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था इसके बाद फरवरी के अंतिम सप्ताह में चना दाल गिरकर 2100 रुपये प्रति क्विंटल के आस पास बिक रही थी लेकिन मार्च में चना दोबारा मजबूत होना शुरू हो गया और इस समय थोक बाजार में 2200 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा जा रहा है। दूसरी तरफ खुदरा बाजार में 35 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंचने वाली चना दाल दोबारा 50 रुपये प्रति किलोग्राम के आस पास बेची जा रही है।
मटर दाल की कीमतें भी थोक बाजार में गिरकर फरवरी में 1350 रुपये प्रति तक पहुंच गई थी जो दोबारा बढ़कर 1410 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई है, जबकि खुदरा बाजार में 28 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंचने वाली दाल पिछले 15 दिनों में बढ़कर 35 रुपये किलो तक पहुंच चुकी है। मसूर दाल फरवरी महीने में थोक बाजार में 3150 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी जबकि नवंबर महीने में मैसूर दाल प्रति क्विंटल 4400 रुपये के आस पास चल रही थी।
इस समय मैसूर दाल की कीमतें दोबारा बढ़कर 3837 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। जबकि खुदरा बाजार में 42 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिरने के बाद इस समय 50 रुपये की एक किलो मसूर दाल मिल रही है। कीमतों में दोबारा महंगाई का रंग उड़द दाल पर भी चढ़ता दिखाई दे रहा है। मार्च महीने में ही उड़द दाल की कीमत प्रति किलोग्राम 10 रुपये से भी ज्यादा महंगी हो चुकी है।
दलहन कारोबारियों का कहना है कि रबी सीजन में दलहन की फसल का उत्पादन ज्यादा होने के संकेत मिलने और आयात बढ़ने के कारण दिसंबर महीने से कीमतों में गिरावट आने लगी थी और फरवरी महीने के अंत तक इसमें 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन दलहन फसलों के उत्पादन अनुमान में कमी की बात से बाजार दोबार करवट लेना शुरू कर दिया है।
इसके अलावा डीजल के दाम बढ़ने के वजह से किराये में ट्रांसपोर्टरों ने करीबन 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी जिसको और बढ़ाने की बात कही जा रही है, जिसका असर दूसरे पदार्थों के साथ दालों की कीमतों पर भी दिखाई दे रहा है।
शेअर खान कमोडिटी हेट मेहुल अग्रवाल कीमतों पर हो रही दोबारा बढ़ोतरी पर कहते हैं कि यह सच है कि पिछले 15 दिनों में विभिन्न दालों की कीमतों में करीबन 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जिसकी मुख्य वजह त्योहारी सीजन होने के कारण बाजार में भारी मांग और किराये में हुई बढ़ोतरी को माना जा रहा है, लेकिन ये कीमतें बहुत ज्यादा ऊपर नहीं जाने वाली है। (बीएस हिंदी)
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