नई दिल्ली March 27, 2010
पेट्रोल में एथेनॉल के अनिवार्य मिश्रण और पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से कीमतों में बदलाव के प्रस्ताव का रसायन मंत्रालय द्वाररा विरोध किया गया है।
इसके बाद पिछले हफ्ते हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस मुद्दे को कैबिनेट सचिवालय के पास भेज दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक सचिवालय मतभेदों को दूर करने और प्रस्ताव की दोबारा समीक्षा करेगा।
रसायन विभाग ने एथेनॉल की कीमतों में प्रस्तावित बढ़ोतरी और पेट्रोल में अनिवार्य मिश्रण का कड़ा विरोध किया है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि यह कदम रसायन उद्योग के खिलाफ है जो औद्योगिक अल्कोहल का बड़ा उपभोक्ता है।
भारत में एथेनॉल और अल्कोहल दो दोनों का निर्माण शीरा से किया जाता है। तेल कंपनियां 21.50 रुपये लीटर की दर पर एथेनॉल प्राप्त कर रही हैं। हालांकि उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से चीनी उद्योग 27 रुपये लीटर की कीमत मांग रहा है।
नवंबर 2007 में पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण को लागू किया गया था। हालांकि कुछ राज्यों कर संबंधी व्यवधानों, इस्तेमाल पर रोक और अनियमित आपूर्ति की वजह से इस व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर लागू नहीं किया जा सका। नवंबर 2009 में मंत्रिमंडल ने कहा कि पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण को अनिवार्य रूप से जारी रखा जाना चाहिए।
पेय उत्पाद और रसायन उद्योग दो प्रमुख क्षेत्र हैं जहां शीरा आधारित अल्कोहल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। 2008-09 में पेय उत्पाद उद्योग ने 10,000 लाख लीटर अल्कोहल का उपभोग किया था और सिर्फ 3,000 लाख लीटर बाकी के उद्योगों के लिए शेष रहा था। रसायन उद्योग में अल्कोहल की मांग 10,000 लाख लीटर रहने का अनुमान है।
वहीं 5 फीसदी मिश्रण के लिए 6,800 लाख लीटर एथेनॉल की जरूरत है। जुबिलियंट ऑर्गनोसिस और इंडिया ग्लाइकॉल्स जैसी रसायन उद्योग की कंपनियों का कहना है कि पेट्रोल में 5 फीसदी का अनिवार्य मिश्रण सही नहीं है।
पेय उत्पाद उद्योग की मांग हर दिन बढ़ रही है और सभी राज्य सरकारों की कोशिश है कि सबसे पहले इनकी मांग पूरी की जाए क्योंकि इस क्षेत्र से सबसे ज्यादा राजस्व हासिल होता है। अन्य मांगों के साथ गन्ने की आपूर्ति में अनियमितता का एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम पर असर होगा।
इंडिया ग्लाइकॉल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश भरतिया का कहना है, 'जब मिल मालिकों ने 21.50 रुपये प्रति लीटर की दर पर आपूर्ति के लिए पहले के सौदों में रजामंदी दी थी, तो अब एथेनॉल की ऊंची कीमतें तय करने का हम विरोध करते हैं।
सबसे बड़े एथेनॉल उत्पादक देश ब्राजील में मिल मालिकों को 13-14 रुपये लीटर की कमाई होती है। लिहाजा भारत में कीमतें वाजिब हैं। एथेनॉल का आयात करने पर औसत खर्चा 20-21 रुपये लीटर आता है। ऐसे में तेल कंपनियां 27 रुपये लीटर का दाम क्यों चुकाएंगी?'
चीनी की पेराई में कमी का मतलब शीरा की आपूर्ति में भी कमी है। 2007-08 से 2008-09 के बीच अल्कोहल की आपूर्ति 22,000 लाख टन से घटकर 13,000 लाख टन रह जाने का अनुमान है। 2009-10 में अल्कोहल का उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रहने की उम्मीद है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 3,500 लाख लीटर अल्कोहल का आयात किया गया था। (बीएस हिंदी)
29 मार्च 2010
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