मुंबई March 25, 2010
मंदी का अंधेरा छंटने के साथ ही हीरे की चमक भी बढ़ने लगी है।
देसी बाजार में मांग अधिक और आपूर्ति कम होने के कारण पिछले दो महीनों में तराशे गए हीरों के दाम में करीब 25 फीसदी बढ़ गए हैं। दिलचस्प है कि इसके बाद भी घरेलू बाजार से मांग कम नहीं हो रही है।
देश में हीरे के सबसे बड़े बाजार पंचरत्न के सचिव नरेश मेहता का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में 30 प्वाइंट से लेकर एक कैरट तक के हीरों के दाम 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुके हैं। बाजार में 200 डॉलर से कम कीमत वाले हीरों की मांग अधिक होने के कारण इनकी कीमतों में करीब 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दाम बढ़ने की दूसरी वजह है विदेश से आने वाले अपरिष्कृत हीरे की कमी भी काफी हद तक जिम्मेदार है। दरअसल जिंबाब्वे से आने वाले कच्चे हीरों के आयात पर रोक है और सीमा शुल्क विभाग की सख्ती के कारण ये देश में नहीं आ पा रहे हैं।
कारोबारियों ने बताया कि पहले इस रोक के बावजूद कुछ माल आ जाता था लेकिन अब ऐसा मुमकिन नहीं है। मानो यह ही काफी नहीं था कि कच्चे हीरों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने भी दाम बढ़ा दिए। अपरिष्कृत हीरे की आपूर्ति में अग्रणी कंपनी टीडीएस ने भी इसके दाम बढ़ा दिए हैं।
जेम्स ऐंड ज्वैलरी प्रमोशन कॉउंसिल के पूर्व चेयरमैन मनहर भंसाली कहते हैं कि कारोबारियों के पास तैयार माल नहीं है तो उत्पाद के दाम बढ़ना तो लाजिमी है। उन्होंने बताया कि पिछले 3 महीनों में हीरों की कीमतों में 20-25 फीसदी इजाफा हुआ है।
हालांकि हकीकत यह है कि मांग कम है लेकिन बाजार उस मांग को भी पूरा नहीं कर पा रहा है। दरअसल 2008 में मंदी की मार से बेरोजगार हुए अधिकतर हीरा कारीगर दूसरे क्षेत्र में चले गए और मजदूरों की कमी से माल ही तैयार नहीं हो पा रहा है।
हीरा बाजार पर पैनी नजर रखने वाले हार्दिक हुंडियां कहते हैं कि 2008-09 में मंदी के कारण छोटे कारोबारियों ने अपना स्टॉक घटा दिया था। निर्यात में कमी आने की आशंका से बड़े कारोबारियों ने भी तैयार माल का भंडार कम ही रखा।
हालांकि हीरा उद्योग के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि हीरों की घरेलू मांग में 50 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है जो आगे भी बरकरार रहने की उम्मीद है। दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में अभी हल्के और कम कीमत वाले हीरों की काफी मांग है जबकि दक्षिण भारत में अच्छे हीरों की मांग बढ़ी है, वही मुंबई और सूरत में सभी तरह के हीरों की मांग में इजाफा हुआ है। (बीएस हिंदी)
26 मार्च 2010
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