March 13, 2010
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा सोने और प्लैटिनम पर सीमा शुल्क 100 रुपये प्रति दस ग्राम से बढ़ाकर 300 रुपये किए जाने को लेकर आयातकों और आभूषण निर्माताओं की तरफ से जारी विरोध में मजबूती नहीं है।
हाल फिलहाल की गिरावट के बावजूद इन धातुओं की कीमतें काफी ऊंची हैं और प्रति दस ग्राम 100 रुपये के अतिरिक्त शुल्क से बाजार को कोई खास परेशानी नहीं होने वाली है। वास्तव में दोनों धातुओं पर विशेष शुल्क दरों के लगाए जाने से इनके आयात के क्रम में होने वाली सरकारी आमदनी में अचानक कोई फर्क नहीं आने वाला है।
सोने की कीमतों में तेजी से इजाफा होने से आम लोगों ने चांदी का रुख किया है और उनके पास चांदी के आयात शुल्क में वृद्धि से नाराज होने की वजहें हैं। प्रणव मुखर्जी ने सोने के अयस्क पर मात्रा आधारित कर (एड वेलोरेम) की जगह कीमत आधारित निश्चित शुल्क (स्पेसिफिक डयूटी) लगाया है।
इस अयस्क से बनने वाले परिशोधित सोने पर सीमा शुल्क घटाया गया है। आभूषण निर्यातकों के लिए एक अच्छी बात यह है कि रोडियम पर लगने वाले सीमा शुल्क को 10 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया है। रोडियम एक महंगा धातु है जिसका इस्तेमाल आभूषणों को पॉलिस करने में किया जाता है।
सोने की ऊंची कीमतों की वजह से आभूषण निर्माण के लिए पुराने सोने का इस्तेमाल ज्यादा किया गया और इससे सोने के आयात पर खासा असर हुआ। 2009 में सोने का आयात 19 फीसदी घटकर 339.8 टन रह गया। इस साल चीन ने 454 टन सोने का आयात किया और दुनिया के सबसे बड़े आयातक के तौर पर उभरकर सामने आया।
जनवरी में भारत ने 37 टन सोने का आयात किया जो पिछले महीने की तुलना में 10 टन फीसदी ज्यादा है, तो क्या यह हमारे उपभोग में फिर से बढ़ोतरी का संकेत है? सोने की मांग में इजाफा होना अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। सोने की कीमतें 16,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर स्थिर हो रही हैं। इंडियन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का कहना है कि चालू वर्ष में सोने का हमारा आयात 550 टन के करीब रहेगा।
बीसी सेन ऐंड को ज्वेलरी हाउस के निदेशक अमित कुमार सेन का कहना है, 'ऊंची कीमतों की वजह से मांग में कमी आती है। आश्चर्य की बात यह है कि भारतीय महिलाओं में सोने की चाह ठंडी नहीं पड़ी है। पुराने सोने से नए आभूषण बनाने का काम मुख्य रूप से दिख रहा है। ग्राहकों ने आभूषण निर्माताओं को हल्के आभूषण बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।' निवेश और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए सोने की मांग भी अपने स्थाने पर लौट रही है।
वैश्विक स्तर पर निवेश के लिए सोने की मांग और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने का अधिग्रहण या निकासी आगे भी इसकी कीमतों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा। वैश्विक आर्थिक सुस्ती के चरम में निवेशकों की तरफ से सोने की खरीदारी देखने को मिली और मुद्रा मूल्य खास तौर से डॉलर के भाव में कमजोरी के समय इसमें उछाल आई।
यूके समेत पश्चिमी देश सुस्ती से बाहर आ चुके हैं, पर यह सुधार बहुत स्थायी नहीं लग रहा है। जीएफएमएस एनालिटिक्स के प्रबंध निदेशक रोहना ओ कोनेल का कहना हैं, 'हमें इस बात में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर सोने में निवेशकों की दिलचस्पी में फिर उछाल देखने का मिले क्योंकि निवेशक मुद्रा मूल्य में उतार-चढ़ावों को लेकर सतर्क होंगे।'
महंगे धातुओं से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि सोने जैसी संपत्ति में आगे भी पूंजी प्रवाह देखने को मिलेगा क्योंकि बुरी परिस्थितियों में भी सोने के भाव स्थिर रहने की उम्मीद है। सोने में निवेश एक तरह से बीमित निवेश होता है इसलिए आगे भी इसमें आकर्षणनजर आएगा। चीन के पास 2.4 खरब डॉलर का स्वर्ण भंडार है।
चीन ने इस बात को स्वीकार किया है कि अपने केंद्रीय बैंक द्वारा सोना इकठ्ठा किया रहा है। चीन अपने देशवासियों को भी सोना खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इन सभी प्रयासों से चीन में सोने के घरेलू उत्पादन को मजबूती मिलेगी।
सितंबर 2009 में बिक्री के लिए आईएमएफ से स्वीकृत 403.3 टन सोने में से 191.3 टन सोने की दूसरी खेप के लिए चीन की तरफ से बोली लगाए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। नवंबर में पहली ब्रिकी में भारत ने 200 टन, श्रीलंका ने 10 टन और मॉरिसस ने 2 टन सोना खरीदा था।
सोने के कारोबार को आईएमएफ की तरफ से सोने की बिक्री से कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह सोने के कारोबार में कोई बाधा खड़ी नहीं करती। ऐसी बिक्री बाजार से बाहर होती है और केंद्रीय बैंक इसके सौदों में शामिल होता है। इनसे बाजार में कुल आपूर्ति पर कोई बढ़ोतरी नहीं होती है।
जानकारों का मानना है कि आईएमएफ से सोना खरीदने के मामले में चीन के लिए कुछ शर्तें हो सकती क्योंकि आईएमएफ खरीदार, लेन-देन की मात्रा और सौदा कीमतों के सिलसिले में सार्वजनिक घोषणा करेगा। अमेरिका के ट्रेजरी पेपर में चीन ने काफी निवेश कर रखा है। ऐसे में चीन ऐसे किसी चीज में शामिल नहीं हो सकता जो डॉलर को बुरी तरह से प्रभावित करे।
आईएमएफ की तरफ से चीन को सोने की कोई भी बिक्री ऐसा ही असर डालेगी। चाहे जो हो चीन आईएमएफ से सोना खरीदने में दिलचस्पी जरूर दिखाएगा। अपना घरेलू उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ सबसे बड़े आयातक के तौर पर उभरकर दुनिया के लिए कोई संदेह की गुंजाइश नहीं छोड़ी है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सीईओ आराम शिशमनियन का कहना है, 'सोना बाजार के अनोखे विस्तार की वजह से सोने के लिए आगे भी संभावनाएं सकारात्मक हैं। निवेश के लिए सोने की उछालदार मांग और आभूषण निर्माण और औद्योगिक मांग में सुधार सकारात्मक नजरिए के आधार हैं।' खानों से सोने की कम आपूर्ति भी इसकी बढ़त को सहारा देगी। (बीएस हिंदी)
15 मार्च 2010
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