March 15, 2010
पिछले कुछ हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू चीनी की कीमतों में आई तेज गिरावट से चीनी के शेयरों का प्रदर्शन भी प्रभावित हुआ है और विश्लेषकों का कहना है कि इस जिंस में गिरावट के आसार हैं।
दुनिया भर में और घरेलू बाजार में चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी के आसार हैं। ऐसे में परिष्कृत चीनी की कीमतों में 20 फीसदी की गिरावट आई है और इस साल 25 वर्षों के सबसे ऊंचे स्तर 740 डॉलर प्रति टन के स्तर को छूने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 590 डॉलर प्रति टन हो गया।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत और दूसरे आयातकों मसलन मिस्र ने खरीदारी को टाल दिया है क्योंकि वर्ष 2010-11 में आपूर्ति के नजरिये में सुधार हो रहा है और इससे चीनी की कमी भी दूर होगी और कीमतों पर उसका असर पड़ेगा।
घरेलू चीनी की कीमतों में जनवरी 2010 के ऊंचे स्तर से करीब 20 फीसदी तक की गिरावट आई है क्योंकि सितंबर 2010 को खत्म हुए मौजूदा चीनी सीजन में उत्पादन के अनुमान में ऊ परी स्तर की समीक्षा की गई है।
सरकार ने भी खरीदारों पर ज्यादा भंडारण पर प्रतिबंध लगाया है और चीनी की मुक्त बिक्री के लिए जारी करने के नियमों में बदलाव किया है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के पहले के 1.5 करोड़ टन के अनुमान के मुकाबले वर्ष 2009-10 के सीजन में भारतीय उत्पादन करीब 1.68 करोड़ टन रहने की उम्मीद है।
हालांकि मार्च के अंत तक उत्पादन के सटीक आंकड़े जब मिलेंगे तब भारत द्वारा अतिरिक्त शुद्ध चीनी आयात का अंदाजा लगाने में आसानी होगी जो अगले 1-2 महीने में मालूम हो जाएगा। मॉर्गन स्टेनले की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010-11 में भारत के उत्पादन में 40 फीसदी उछाल की उम्मीद है और यह 235 लाख टन के उपभोग स्तर के बराबर है।
इस बीच ब्राजील में गन्ने की बेहतर फसल है। राबो बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009-10 में चीनी के उत्पादन में सालाना 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इससे कीमतों में कमी के लिए माहौल तैयार हो रहा है।
हालांकि सीएलएसए के विश्लेषक ने हाल की एक रिपोर्ट में कहा है कि उद्योग के प्रतिभागियों के साथ विचार विमर्श से संकेत मिलता है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहती हैं तो ब्राजील से एथेनॉल निर्यात में बढ़ोतरी हो सकती है।
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और हाल में चीनी की कीमतों में गिरावट से एथेनॉल की मांग में भी अपेक्षाकृत सुधार हुआ है इससे ब्राजील के चीनी उत्पादन में आई तेजी पर रोक लग सकती है। इस बीच चीनी के शेयरों में पिछले महीने औसतन करीब 15 फीसदी तक की गिरावट आई है और उम्मीद है कि आगे इसमें और गिरावट होगी।
चीनी के शेयरों का प्रदर्शन भी अलग हो सकता है क्योंकि उनकी कमाई का जरिया विभिन्न क्षेत्रों मसलन चीनी, ऊर्जा उत्पादन से होता है। साल के शुरूआत में कच्ची चीनी के मार्जिन पर ऊंची कीमतों का असर पड़ा। हालांकि जब चीनी की कीमतें आसमान छू रही थी तब गन्ने की ज्यादा कीमत किसानों को दी गई, इससे भविष्य में कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ेगा।
बजाज हिंदुस्तान और श्री रेणुका पर निवेशकों की नजर होगी क्योंकि कर्ज के स्तर में बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल कम कीमतों की वजह से नकदी के प्रवाह की रफ्तार भी कम है। बलराम पुर चीनी में तेजी आ सकती है क्योंकि सह-उत्पादन के जरिये नकदी के प्रवाह में बढ़ोतरी की उम्मीद है। वहीं त्रिवेणी इंजीनियरिंग ने अपने सफल इंजीनियरिंग कारोबार से अच्छी स्थिति बनाई है। (बीएस हिंदी)
16 मार्च 2010
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