18 मार्च 2010
काली मिर्च का निर्यात फीका
चालू फसल सीजन में वियतनाम का काली मिर्च उत्पादन करीब 22 फीसदी बढ़ने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में वियतनामी काली मिर्च के दाम घटने से भारतीय काली मिर्च महंगी पड़ रही है। इस वजह से भारतीय काली मिर्च की मांग कमजोर चल रही है। जनवरी महीने में भारत के निर्यात में 28 फीसदी की कमी दर्ज की गई। हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्यों केरल और कर्नाटक में नीलामी केंद्रों पर आवक कम होने से पिछले दो दिनों में काली मिर्च की कीमतें 500 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ चुकी है। घरेलू मांग अच्छी होने से मौजूदा कीमतों में और भी तेजी की संभावना है। मैसर्स केदारनाथ सन्स के डायरक्टर अजय अग्रवाल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि वियतनाम में काली मिर्च की पैदावार पिछले साल के 90 हजार टन से बढ़कर 1।10 लाख टन होने की संभावना है। वहां की कालीमिर्च का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2800-3000 डॉलर प्रति टन चल रहा है जबकि भारतीय बाजार में भाव ज्यादा है। इस वजह से निर्यातक 3100 डॉलर प्रति टन से कम भाव पर सौदे करने को तैयार नहीं हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होने से भी भारतीय काली मिर्च विदेश में महंगी पड़ रही है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार जनवरी महीने में भारत से काली मिर्च का निर्यात घटकर 1,500 टन रह गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,100 टन निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों (अप्रैल से जनवरी) के दौरान कुल निर्यात में 24.5 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान कुल निर्यात घटकर 16,250 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 21,550 टन निर्यात हुआ था। काली मिर्च के व्यापारी महेंद्र पारिख ने बताया कि घरेलू मांग अच्छी बनी हुई जबकि नीलामी केंद्रों पर आवक पहले की तुलना में घटी है। इसीलिए पिछले दो दिनों में नीलामी केंद्रों पर एमजी वन काली मिर्च की कीमतों में 500 रुपये की तेजी आकर भाव 13,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। चालू सीजन में घरेलू पैदावार पिछले साल के 45,000 टन से घटकर 40,000 टन होने का अनुमान है। पहले 50,000 टन पैदावार का अनुमान लगाया गया था। उत्पादन में कमी से तेजी को बल मिल रहा है। आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और भी तेजी के ही आसार हैं। उधर एनसीडीईएक्स में निवेशकों की खरीद बढ़ने से बुधवार को काली मिर्च की कीमतों में चार फीसदी की तेजी दर्ज की गई। अप्रैल महीने के वायदा अनुंबध के भाव बढ़कर 13,753 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। इंटीनेशनल पिपर कम्युनिटी (आईपीसी) के मुताबिक नए सीजन में विश्व में काली मिर्च की पैदावार में तीन फीसदी का इजाफा होने की संभावना है। पिछले साल विश्व में कुल उत्पादन 281,794 टन का हुआ था जबकि चालू सीजन में उत्पादन बढ़कर 290,742 टन होने का अनुमान है। (बिज़नस भास्कर.........आर अस राणा)
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