13 मार्च 2010
घट सकती हैं कॉपर की कीमतें
घरेलू औद्योगिक उत्पादन की विकास दर में गिरावट आने का असर कॉपर के मूल्य पर पड़ सकता है। उद्योगों का उत्पादन कम होगा तो कॉपर की मांग कमजोर पड़ने लगेगी। हालांकि लंदन मेटल एक्सचेंज इन्वेंट्री बढ़ने के कारण पिछले दो सप्ताह में कॉपर के दाम करीब पांच फीसदी बढ़ चुके हैं। घरेलू बाजार में भी पिछेल दो सप्ताह में तेजी का रुख रहा।विश्लेषकों का कहना है कि दिसंबर के मुकाबले जनवरी में औद्योगिक उत्पादन की विकास दर में कमी अनुमान के अनुरूप ही है। अगले एक-दो महीने औद्योगिक उत्पादन की विकास दर धीमी रह सकती है। इससे कॉपर की मांग कमजोर पड़ सकती है। गौरतलब है कि राहत पैकेज वापस लेने की दिशा में चलते हुए सरकार ने आम बजट में उत्पादन शुल्क बढ़ा दिया था। कॉपर की सबसे अधिक खपत इलैक्ट्रिकल में 42 फीसदी, भवन निर्माण में 28 फीसदी, ट्रांसपोर्ट में 12 फीसदी, कंज्यूमर प्रोडक्ट में 9 फीसदी और इंडस्ट्रियल मशीनरी में 9 फीसदी होती है। उधर मेटल विश्लेषक अभिषेक शर्मा का कहना है कि चीन में पिछले दो माह के दौरान कॉपर का आयात बढ़ा है लेकिन वहां स्टॉक बढ़ने पर आयात अगले महीनों में धीमा पड़ सकता है। चूंकि दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक चीन की मांग के अनुसार ही बेसमेटल्स के दाम तय हो रहे हैं। ऐसे में चीन की मांग घटी तो अगले एक माह में नरमी आ सकती है। शर्मा का कहना है कि डॉलर यूरो के मुकाबले मजबूत होने लगा है। आगे इसमें और मजबूती के आसार हैं। ऐसे में कॉपर की कीमतों में कमी की संभावना है। सथ ही ऊंचे मूल्यों पर बिक वाली भी हो सकती है। हालांकि लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में दो सप्ताह के दौरान कॉपर तीन माह डिलीवरी के दाम 7095 डॉलर से बढ़कर 7409 डॉलर प्रति टन हो चुके हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में इस दौरान कॉपर अप्रैल वायदा के दाम 332.85 रुपये से बढ़कर 34ख् रुपये प्रति किलो हो चुके हैं। अभिषेक शर्मा ने बताया कि एलएमई में कॉपर की इन्वेंट्री 5.म्म् लाख टन से घटकर 5.34 लाख टन पर आ गई है। वहीं फरवरी माह के दौरान कॉपर के प्रमुख उपभोक्ता देश चीन की मांग में इजाफा हुआ है। चीन ने फरवरी में 3.22 लाख टन कॉपर आयात किया। जनवरी में यह आंकडा़ 2.92 लाख टन पर था। चालू वर्ष में जनवरी और फरवरी में चीन ने 6.49 लाख कॉपर आयात किया। पिछली समान अवधि में यह आंकडा 5.62 लाख टन पर था। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉपर की कीमतों में तेजी आई है। उनके मुताबिक चिली में भूकंप की वजह से भी कीमतों में तेजी को बल मिला है। दिल्ली के कॉपर कारोबारी सुरश चंद गुप्ता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने से घरलू बाजार में भी इसके मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है। इंटरनेशनल कॉपर स्टडी ग्रुप (आईसीएसजी) के मुताबिक अगले साल चीन में अगले कॉपर की खपत आठ फीसदी बढ़कर 58.3 लाख टन तक पहुंच सकती हैं।कॉपर का सबसे अधिक उत्पादन एशिया में 43 फीसदी होता है इसके बाद 32 फीसदी अमेरिका,19 फीसदी यूरोप में किया जाता है।sg.ramveer@businessbhaskar.netबात पते कीअगले एक-दो महीने औद्योगिक उत्पादन की विकास दर धीमी रह सकती है। इससे कॉपर की मांग कमजोर पड़ सकती है। कॉपर की सबसे अधिक खपत इलैक्ट्रिकल उपकरणों और भवन निर्माण में होती है। (बिज़नस भास्कर)
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