नई दिल्ली। डेयरी उत्पादों के आयात के जरिए दूध की उपलब्धता बढ़ाने की कोशिश पशु पालकों के हितों को प्रभावित कर सकती है। दूसरी ओर आयातित सस्ते डेयरी उत्पादों की भरमार के बावजूद उपभोक्ताओं को राहत मिलने के आसार नहीं हैं, खरीद केंद्रों पर दूध के मूल्य घटने की आशंका बढ़ गई है। पशु पालकों का कहना है कि एक वर्ष में दूध की खुदरा कीमतों में सात रुपये लीटर तक की बढ़ोतरी के बावजूद खरीद मूल्य में एक रुपये लीटर की बढ़ोतरी नहीं हुई है।
दो रुपये लीटर की बढ़ोतरी स्वाभिमानी एग्रो प्रोडक्ट के प्रबंध निदेशक राजू शेट्टी ने बताया कि गुजरात और महाराष्ट्र में एक वर्ष के दौरान दूध के खरीद मूल्य में लगभग दो रुपये लीटर की बढ़ोतरी हुई है और यहां किसानों को 20 से 21 रुपये लीटर का दाम मिल रहा है, लेकिन उत्तर और पूर्वी भारत में अभी भी किसान 17 से 18 रुपये लीटर की दर पर दूध की बिक्री कर रहे हैं, जबकि डेयरियां 28 से 30 रुपये लीटर की दर पर खुदरा बिक्री कर रही हैं। पशु पालकों को बेहतर दाम मिले तो उपलब्धता कई गुना तक बढ़ सकती है। महंगे पशु आहार से दूध की लागत बढ़ी है।हालांकि कृषि मंत्री दूध की मौजूदा मांग और उपलब्धता के बीच 18 लाख टन सालाना दूध की कमी को डेयरी उत्पादों के आयात से पूरा करने के पक्ष में नहीं हैं।
शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी सरकार ने 30000 टन एसएमपी और बटर ऑयल सहित अन्य डेयरी उत्पादों के शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी दे दी है। किसानों के मुताबिक कैसीन निर्यात पर रोक लगाकर दूध की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है। एक किलो कैसीन बनाने में 35 लीटर दूध की खपत होती है। रोजाना लगभग 16 लाख लीटर दूध कैसीन बनाने में प्रयोग हो रहा है। अगस्त से दिसंबर तक 7000 टन कैसीन का निर्यात हो चुका है।
क्या है कैसीन
लगभग दही जैसी शक्ल सूरत वाला कैसीन वह प्रोटीन है जो सिर्फ दूध में पाया जाता है। गाय, भैंस और बकरी के शुद्ध दूध में प्रति लीटर इसकी मात्रा 20 मिलीग्राम तक हो सकती है। यूरोपीय देशों में इसकी सर्वाधिक खपत होती है। इसे विभिन्न खाद्य पदाथो5 में मिलाकर खाया जाता है। इसका इस्तेमाल दवा, पेंट और सौंदर्य उत्पाद बनाने के लिए भी किया जाता है। (अमर उजाला)
18 मार्च 2010
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