17 मार्च 2010
फरवरी में खाद्य तेल आयात 8फीसदी घटा
फरवरी में देश में खाद्य तेलों के आयात में आठ फीसदी की कमी आई है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार फरवरी में खाद्य तेलों का आयात घटकर 700,769 टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 762,544 टन का आयात हुआ था। एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ। बी. वी. मेहता ने बताया कि फरवरी में आयात में कमी का प्रमुख कारण घरलू बाजार में खाद्य तेलों की कुल उपलब्धता मांग के मुकाबले ज्यादा होना है। हालांकि नवंबर से शुरू चालू तेल वर्ष के पहले चार महीनों में फरवरी तक कुल आयात में 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान कुल आयात बढ़कर 31.14 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 29.51 लाख टन का ही आयात हुआ था। खाद्य तेलों के कुल आयात में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण खरीफ सीजन में घरलू तिलहनों के उत्पादन में कमी और क्रशिंग कम होना है। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया मबजूत होने का भी असर आयात पर पड़ा है। वैसे भी इस समय क्रूड पाम तेल के आयात पर शूल्क शून्य है तथा रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात पर भी शुल्क मात्र 7.5 फीसदी ही है, जिससे आयात को बढ़ावा मिला है। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि पिछले दो महीने से आयात में कुछ कमी आई है क्योंकि घरलू बाजार में खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा है। नवंबर के मुकाबले फरवरी में आयातित खाद्य तेल महंगे होने से भी आयात गिरा है। नवंबर महीने में आरबीडी पॉमोलीन का भारतीय बंदरगाह पर पहुंच भाव 740 डॉलर प्रति टन था जो कि फरवरी में बढ़कर 819 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी तरह से क्रूड पॉम तेल का भाव नवंबर महीने में बंदरगाह पर 700 डॉलर प्रति टन था जो फरवरी में बढ़कर 785 डॉलर प्रति टन हो गया। घरलू बाजार में सरसों तेल का भाव घटकर 475 रुपये और रिफाइंड सोया तेल का दाम 441 रुपये प्रति दस किलो रह गया। दिसंबर महीने में सरसों तेल का भाव 548 रुपये और सोयाबीन रिफाइंड तेल का 476 रुपये प्रति दस किलो था। (बिज़नस भास्कर)
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